BPL परिवारों के घर पर नाम लिखने की परंपरा अशोक गहलोत सरकार की, वसुंधरा सरकार ने भामाशाह योजना से दिया गरीबों को हक

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    rajendra-rathor

    राजस्थान सरकार प्रदेश के गरीब और आम आदमी की सरकार है। प्रदेश के अंतिम छौर पर बैठे व्यक्ति को भी सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकें इसके लिए राज्य सरकार ने कई योजनाओं को संचालित किया है। जहां चार साल पहले प्रदेश में बीपीएल परिवार और गरीब परिवारों को उचित मूल्य़ की दुकानों से राशन कार्ड द्वारा दिया जाता था वो भी समय पर नही मिलता था और गरीबों के हक का राशन दुकान दार या फिर गांव का कोई रसूखदार खा जाता था। ऐसे में प्रदेश की वसुंधरा सरकार के एक कदम से इस व्यवस्था का कायाकल्प हो गया है। मुख्यमंत्री राजे ने सत्ता संभालते ही गरीबों को हक का राशन देने के लिए भामाशाह योजना और पीओएस मशीनों की तैनाती उचित मूल्य की दुकानों पर की। इससे गांव के गरीब और बीपीएल परिवारों के हक का राशन सीधे उन्हे ही मिलता है, किसी बिचौलिए की आवश्यकता नही होती । गहलोत सरकार में ऐसी व्यवस्था नही थी, गहलोत सरकार के शासन में ही गरीब व बीपीएल परिवारों को अपने घर पर लिख कर बताना पड़ता था की वो गरीब या बीपीएल परिवार है। वसुंधरा सरकार की योजनाओं से आज प्रदेश के गांव-गरीब का कल्याण हो रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ये भूल गये है कि वंचितों के हक का राशन उन्हे गरीब का तमगा लगवाकर ही उनकी सरकार देती थी। इससे पहले जब केंद्र सरकार बीपीएल परिवारों और गरीब परिवारों के पक्का घर बनाने के लिए लोन देती थी तो घर पर लिखवाना पड़ता था कि वो परिवार गरीब है और यह घर सरकार के लोन से बनाया गया है। क्या कांग्रेस और गहलोत जी यह भूल जाते है।

    पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आरोपों का खंड़न करते हुए सूबे के पंचायत राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने कहा है कि बीपीएल परिवारों के घर पर बीपीएल परिवार लिखने की प्रक्रिया को पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजनीतकिक मुद्दा बना रहे हैं जो गलत है। उन्होंने जारी एक बयान में कहा है कि इस प्रक्रिया से न केवल गरीबी की सीमा रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले बीपीएल परिवार चिन्हित होते हैं बल्कि ऐसे परिवार जो बीपीएल की श्रेणी में नहीं आते लेकिन बीपीएल की सूची में शामिल हैं, ऐसे अपात्र परिवार स्वयं ही इस प्रक्रिया के चलते अलग हो जाते हैं।

    मंत्री राठौड़ ने कहा कि बीपीएल परिवारों के घर पर बीपीएल लिखने की यह प्रक्रिया पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत जी की सरकार ने 6 अगस्त, 2009 के आदेश से शुरू की थी और आज इस मामले को लेकर वे ही राजनीति कर रहे हैं।  उन्होंने कहा कि गहलोत जी की सरकार में उस वक्त नरेगा के तहत मजदूरी पाने वाले श्रमिकों तक के नाम व रोजगार दिवस भी वॉल पेंटिंग के रूप में गांव-गांव में लिखवाए गए थे। उन्होने बताया कि भाजपा सरकार तो भामाशाह योजना के माध्यम से बिना किसी मध्यस्थ के सरकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत पैसा सीधे लाभार्थियों के खातों में पहुंचा रही है।

    पहला मामला नही जब दीवार पर नाम लिख कर बताया जाता था कि आप गरीब है

    कांग्रेस के शासन में देश प्रदेश में ऐसे कई काम हुए है जो शर्मनाक है। मनमोहन सिंह सरकार के समय गरीब व बीपीएल परिवारों को घर बनाने के लिए सरकार लोन रूपी रकम मिलती थी उसे घर पर बड़े बड़ अक्षरों में आपकी गरीबी का सबूत देना होता था। ठीक ऐसा ही राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार द्वारा किया गया  था। गहलोत सरकार द्वारा बीपीएल और गरीब परिवारों को दिया जाने वाला राशन लेने के लिए घर पर गरीब लिखवाना पड़ता था। और अब इसी व्यवस्था पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को शर्म आ रही है।

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