‘गाय को पूजना व्यर्थ’ वाले बयान पर देश में छिड़ी नई बहस, भाजपा के बाद अब संत समाज उतरा मैदान में

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जयपुर। गहलोत सरकार में संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के ‘गाय को पूजना व्यर्थ’ वाले बयान पर अब देश में नई बहस छिड़ गई है। धारीवाल की इस टिप्पणी पर राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के बाद अब विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय संत धर्मेंद्र ने भी कड़ी निंदा की है। संत ने कहा कि जिस प्रकार से हम भारत देश को भारत माता कहकर बुलाते हैं, उसी तरह गाय को भी गौमाता का दर्जा दिया गया है। भारत देश की यह परंपरा रही है कि हम सदियों से पेड़ों व वनस्पतियों तक को पूजते रहे हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया का सारा साहित्य यदि तराजू के एक पलड़े में रखा जाए और दूसरे पलड़े में सिर्फ वंदे मातरम् गीत को ही रख दिया जाए तो भी दोनों की तुलना नहीं की जा सकती।

संत धर्मेन्द्र ने पत्रकारों से वार्ता के दौरान कहा कि ए आर रहमान मुस्लिम समुदाय से हैं लेकिन फिर भी उन्होने वंदे मातरम और मां तुझे सलाम गीत गाकर देश की शोभा बढाई है। साथ ही उन्होने बताया कि भगवान बुद्ध ने बोधगया में एक पेड़ के नीचे बैठकर दिव्य ज्ञान प्राप्त किया था। इतना ही नहीं एक बरगद के पेड़ पर भगवान शंकर और पीपल के पेड़ में नारायण का वास रहता है। यही कारण है कि पेड़ के नीचे बैठने मात्र से ही अपार शांति मिलती है। उन्होने गहलोत सरकार के मंत्री शांति धारीवाल पर टिप्पणी करते हुए इशारों-इशारों में कहा कि कुछ लोग अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए ऊंची मानसिकता रखते हैं। उन्होने कहा कि पूरे विश्व में केवल भारत देश को ही भारत माता कहा जाता है, जहां गाय की पूजा होती है, जिस पर सभी को गर्व होना चाहिए।

गौरतलब है कि राजस्थान विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान मंत्री शांति धारीवाल ने गाय पर विवादित बयान दिया था। उन्होने कहा था कि गाय एक उपयोगी पशु जरूर है लेकिन उसकी पूजा करने की कोई आवश्यकता नहीं है। धारीवाल की इस टिप्पणी के बाद देश की राजनीति में गाय का मुद्दा एक बार फिर जोर-शोर से उठने लगा। उनकी इस टिप्पणी को मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया, भाजपा नेता प्रह्लाद गुंजल सहित कई नेताओं ने निंदनीय बताया है।

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