गहलोत और पायलट के बीच फिर बढ़ी तल्खी, कहा- सीधे मेयर बनाना गलत, फैसले पर पुनर्विचार हो
जयपुर। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच तल्खी एक बार फिर सामने आई। पायलट खुलकर अपनी ही सरकार के फैसले के खिलाफ बोले। निकाय चुनाव में महापौर-सभापति सहित अन्य निकाय प्रमुखाें के चयन के तरीके पर गहलाेत सरकार अपनों से ही घिरती जा रही है। एक दिन पहले दो कैबिनेट मंत्रियों के सवाल उठाने के बाद अब डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।
इसमें बैकडोर एंट्री होगी : पायलट
पायलट ने साफ कहा कि मैं सरकार के उक्त निर्णय से सहमत नहीं हूं। उन्होंने ने कहा है कि मेयर-सभापति चुनने के हाईब्रिड तरीके पर न ही विधायक दल बैठक में चर्चा हुई, न ही सदन या कैबिनेट में। मंत्री महोदय यदि नगरपालिका एक्ट के तहत यह निर्णय लेना चाहते हैं तो यह न तो व्यावहारिक रूप से सही है, न ही राजनीतिक दृष्टिकोण से। इस निर्णय में बदलाव की जरूरत है। इसमें बैकडोर एंट्री होगी। इसमें लोकतंत्र को मजबूत करने वाली बात नहीं होगी। कांग्रेस ने हमेशा कहा है कि सीधा चुनाव हो, जनता से सीधा जुड़ाव हो। पार्षद का चुनाव लड़े बिना या जीते बिना किसी काे भी मेयर-सभापति बनाना गलत है।
प्रताप सिंह और रमेश मीणा ने भी किया विरोध
आपको बता दें कि एक दिन पहले गुरुवार काे ही खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा और परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी मेयर-सभापति चुने जाने संबंधी नए नियम का विराेध किया था। उन्हाेंने इसे फील्ड में काम करने वाले और चुनाव जीतकर आने वाले पार्षदों के साथ अन्याय बताया था।
शांति धारीवाल ने संभाला मोर्चा
विवाद बढ़ने पर स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने मीडिया से कहा कि साल, 2009 में जो नियम थे, वही इस बार हैं। उस समय निकाय प्रमुख का चुनाव सीधा हुआ था, जिसमें कोई भी पात्र मतदाता खड़ा हो सकता था। इस बार निकाय प्रमुखों का चुनाव पार्षद करेंगे और जो मतदाता होगा वह प्रमुख बन सकेगा। पिछली भाजपा सरकार ने साल, 2008 के नियमों में बदलाव किया था। अब हमारी सरकार ने एक बार फिर 2009 के नियम संशोधन के साथ लागू कर दिए हैं। दो मंत्रियों द्वारा नाराजी जताने पर उन्होंने कहा कि विरोध करने वाले विरोध करेंगे और सुझाव भी देंगे।