आरएसएस राष्टीय स्वयंसेवक संघ के संचालक मोहन भागवत ने कहा है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर सिर्फ राम मंदिर ही बनेगा। वहां कोई दूसरा ढांचा बनाने नहीं दिया जाएगा। जल्दी ही यहां भगवा झंडा फहराएगा। भागवत कर्नाटक के उडुपी में विश्व हिंदू परिषद की धर्म संसद को संबोधित कर रहे थे। विश्व हिंदू परिषद की ओर से आयोजित धर्म संसद में देशभर से करीब दो हजार संत, मठाधीश एवं विहिप के नता जाति और लैंगिक असमानता से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करने के लिए जमा हुए हैं।
संघ प्रमुख का यह बयान सुप्रीम कोर्ट में 5 दिसम्बर से अयोध्या मामले पर आखिरी सुनवाई शुरू होने से पहले आया है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में 5 दिसम्बर से अयोध्या मामले पर आखिरी सुनवाई होने जा रही है। उससे पहले आए भागवत के इस बयान के अलग—अलग मायने निकाले जा रहे हैं।
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तीन दिन चलने वाले इस कार्यक्रम में धर्मांतरण पर रोक और गोरक्षा जैसे मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है। साथ ही हिंदू समाज के भीतर आपसी सद्भाव बढ़ाने का उपाय भी खोजा जाएगा। धर्मसंसद में भागवत ने कहा कि हम राम जन्मभूमि आंदोलन को आगे बढ़ाने को लेकर बातचीत कर रहे थे। राम मंदिर उन्हीं के पत्थरों से बनेगा और उन्हीं की अगुवाई में बनेगा जो इसका झंडा लेकर पिछले 25 सालों से चल रहे हैं। आगे उन्होंने कहा कि अगर गोहत्या पर रोक नहीं लगी तो हम शांति से नहीं जी सकेंगे।
धर्म संसद में भागवत ने राम मंदिर में मध्यस्थता करने की पहल करने पर श्री श्री रविशंकर की कड़ी आलोचना भी की है। उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि मामले में श्री श्री रविशंकर खुद ही फैसले ले रहे हैं। आपको बता दें कि शनिवार को आर्ट आॅफ लिविंग के संस्थापक रविशंकर अयोध्या आ रहे हैं।
राम मंदिर पर मोहन भागवत के बयान के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने बयान की निंदा करते हुए विरोध जताया है। ओवैसी ने कहा कि ‘भागवत का बयान यह साफ संदेश देता है कि आरएसएस खुद को सुप्रीम कोर्ट समझ रहा है। यह काफी संवेदनशील मामला है और आरएसएस इस मुद्दे पर आग से खेल रहा है। मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट आरएसएस के इस बयान पर संज्ञान लेगा।’