पोकरण यानि परमाणु परीक्षण की जन्म स्थली। आज से ठीक 19 साल पहले 1998 में देश ने अपना पहला परमाणु परीक्षण यही किया था। बताया जाता है कि देश के मिसाइल मैन और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दूल कलाम अपने कुछ वैज्ञानिकों के साथ यहां खुफिया तौर पर रहे थे और परीक्षण के लिए यह जगह चुनी थी। इस परीक्षण की सभी तैयारियां इतनी गुप्त रही थी कि अमेरिका की खुफिया एजेंसी को भी इसकी खबर नहीं लग पाई थी। यह जगह राजस्थान के इतिहास का अहम हिस्सा है। आखिर क्या मायने हैं राजस्थान के लिए इस स्थान के, इससे पहले जानते हैं यहां का इतिहास।
पोकरण का इतिहास
पोकरण या पोखरण राजस्थान के जैसलमेर जिले से 110 किमी दूर जैसलमेर—जोधपुर मार्ग पर स्थित है। 14वीं शताब्दी में यहां राजा राव मालदेव राज्य किया करते थे। पोखरण से तीन किलोमीटर दूर स्थित सातलमेर को पोखरण की प्राचीन राजधानी होने का गौरव प्राप्त हैं। आजादी के बाद इसे जैसलमेर में मिला दिया गया। 1998 में पहले परमाणु परीक्षण के बाद यह स्थान फिर से चर्चा में आ गया।
दर्शनीय स्थल है पोकरण
परमाणु परीक्षण के अलावा भी यहां की एक खास पहचान है। यहां बाबा रामदेव का एक प्रसिद्ध मंदिर है जिसे रामदेवरा के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थल बाबा रामदेव के गुरूकुल के रूप में विख्यात हैं जहां हर साल एक बड़ा मेला लगता है जिसमें हजारों की संख्या में लोग दर्शन के लिए जाते हैं। इसके अलावा बालागढ़ के रूप में जाना जाने वाला लाल पत्थरों से निर्मित पोखरण दुर्ग नामक एक प्राचीन किला है। यह स्मारक थार रेगिस्तान में स्थित है जिसका निर्माण राव मालदेव ने कराया था। यह दुर्ग एक प्राचीन ऐतिहासिक व्यापार मार्ग पर स्थित है जहां से मसाले, नमक और रेशम का निर्यात फारस और अन्य देशों को किया जाता था। किले में एक पुराने संग्रहालय के साथ—साथ एक पुस्तकालय भी है। साथ ही आशापूर्णा मंदिर, खींवज माता का मंदिर और कैलाश टेकरी स्थल भी दर्शनीय हैं।
यहां की मिट्टी है कुछ खास
यहां की मिट्टी में कुछ खास बात है जो आज तक कभी सामने नहीं आई। पड़ौसी मुल्क खुद कई बार यहां की मिट्टी चुराने की कोशिश कर चुका है। बताया जाता है कि वहां परमाणु कार्यक्रम से जुड़े वैज्ञानिक यहां की मिट्टी से यह जानना चाहते हैं कि क्यों यहां हुए सभी परमाणु परीक्षण सफल रहे और इसकी क्या वजह है। वहीं भारतीय लिहाज से यहां भी परमाणु परीक्षण किया गया वहां तक पहुंच पाना नामुमकिन है। निर्धारित जगह से 4 किमी पहले ही भारतीय सेना ने गेट लगा रखे हैं ताकि वहां पहुंचा न जा सके। यहां से आगे जाने के लिए 4 सुरक्षा द्वार और हैं।
राजस्थान के संदर्भ में
इन दिनों पोकरण का नाम हॉवित्जर तोपों के परीक्षण को लेकर काफी चर्चा में है। यह अमेरिकन तोपे हैं जिनकी मारक क्षमता ज्यादा है और वजन काफी हल्का। कुछ महीनों पहले ही यहां इन तोपों का परीक्षण किया गया है जिनकी गुंज पड़ौसी मुल्कों के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंची है। इससे पहले जून, 2017 में यहां स्वदेशी नाग मिसाइल का भी सफल परीक्षण किया गया है। जिस तरह लगातार यहां परमाणु परीक्षणों के साथ अन्य सैन्य परीक्षण हुए हैं, उसे देखते हुए राजस्थान की यह बॉर्डर काफी सुरक्षित समझी जाने लगी है जोकि एक अंतरराष्ट्रीय सीमा है। यहां सुरक्षा स्तर और चौकसी को देखते हुए राजस्थान को सैन्य दृष्टि से सुरक्षित समझा जा सकता है।