मध्यप्रदेश की तर्ज पर राजस्थान में किसानों को आंदोलन के लिए उकसाने वाली कांग्रेस के भाग का छींका अब नही टूटेगा। प्रदेश कांग्रेस किसानों के नाम पर राजस्थान में सरकार के खिलाफ आंदोलन करने के लिए तैयारिया करके बैठी थी लेकिन अब हाथ मलने के सिवा कुछ नही कर पाएगी। प्रदेश के किसानों ने कथित तौर पर किया जाने वाला आंदोलन अब नही करने का आश्वासन दिया है और आंदोलन को रद्द कर दिया है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में प्रदेश में किसानों को आंदोलन की राह पर नही चलने दिया गया। राजस्थान सरकार ने किसानों को समय पर सभी सुविधाएं दी है। किसान हितों को ध्यान में रखते हुए राजस्थान सरकार ने किसानों की फसलों को सरकारी दरों पर खरीदने के अलावा बिना ब्याज के लोन देने की योजनाओं से किसान भाईयों को आंदोलन या प्रदर्शन करने की जरुरत नही पड़ी।
सरकार और किसान प्रतिनिधियों की वार्ता में बनी सहमति
सोमवार को राजस्थान सरकार के मंत्रियों और प्रदेश के किसान प्रतिनिधियों में किसान आंदोलन समाप्त करने के लिए आपसी सहमति बनी। राजस्थान सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच करीब 11 घंटों की लंबी वार्ता के काब यह सहमति बनी। किसानों की मुख्य समस्याओं पर गौर करते हुए राज्य सरकार के प्रतिनिधियों ने जल्द समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया ।
इन बातों पर बनी आपसी सहमति
- आगामी विधानसभा के मानसून सत्र में एक दिन किसान और कृषि मामलों पर चर्चा की जाएगी
- बिजली बिल दो महीने में जारी होंगे लेकिन 6 माह ना पेनल्टी लगेगी ना कनेक्शन काटे जाएंगे
- प्रदर्शन के दौरान किसानों पर दर्ज राज कार्य में बाधा डालने के मुकदमे वापस लिए जाएंगे
- प्रदेश में 25 जून तक प्यार खरीद केंद्र खोले जाएंगे
- मूंग के समर्थन मूल्य को बढ़ाकर 5575 व मुंगफली का 4450 करने पर दोनों पक्षों के बीच सहमति बनी
- समर्थन मूल्य से कम खरीद को अपराध की श्रेणी में लाने के लिए गुजरात और मध्यप्रदेश की तर्ज पर बनाया जाएगा कानून
कांग्रेस हाथ मलने के सिवा कुछ नही कर सकती
राजस्थान में किसानों को आंदोलन के लिए प्रेरित करने के लिए प्रदेश कांग्रेस ने जी तोड़ कोशिश कर ली लेकिन कांग्रेस इस मौके को सरकार के खिलाफ इस्तेमाल नही कर सकी। राजस्थान कांग्रेस ने किसान आंदोलन के नाम पर अपनी रोटिंया सेंकने का पूरा प्रयास किया लेकिन आपसी फूट और रंजिस के कारण पीसीसी चीफ इस कुंठा भरे कार्य में निष्फल ही रहे। आपकों बता दें कि प्रदेश में किसान आंदोलन का लाभ उठाकर कांग्रेस सरकार के खिलाफ प्रदेश भर में प्रदर्शन करने जा रही थी लेकिन पायलट और गहलोत की आपसी फूट से यह कार्य सिद्ध नही हो पाया और दूसरी तरफ किसान भाईयों ने भी आंदोलन वापस ले लिया।