फुस्स हुई राजस्थान कांग्रेस, पहले नेताओं ने छोड़ा साथ अब जनता ने भी कह दिया बाय-बाय

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    राजस्थान में कांग्रेस के हालात कैसे है यह बात किसी से छुपी हुई नही है। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने अपने और कांग्रेस के स्तर को धरातल पर ला छोड़ा है। कांग्रेसी जनता को बेवकूफ बनाने के कई प्रयास करते है लेकिन अब राजस्थान की जनता मुख्य़मंत्री वसुधरा राजे और भाजपा के रंग में रंगी नजर आ रही है। लोगों पर कांग्रेस के जादू-टोने अब नही चल रहे है जिससे कांग्रेसी तिलमिलाए से फिर रहे है। जयपुर में कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ जन आंदोलन शुरू किया है लेकिन खुद कांग्रेसी यह कह रहे है कि एक विधानसभा से 1000 कांग्रेस पदाधिकारी और कार्यकर्ता होते है लेकिन कोई शामिल ही नही होता। राजस्थान कांग्रेस के बड़े नेता अब भीड़ जूटाने में असफल साबित हो रहे है। जयपुर के बीच बाजार के बाहर कांग्रेस का मंच है इस मंच पर कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट, रामेश्व डूडी, मास्टर भंवर लाल मेघवाल, प्रतापसिंह खाचरियावास, पूर्वमहापौर ज्योति खंडेलवाल, बृजकिशोर शर्मा जैसे बड़े नेताओं के होने के बाद भी शहर में 300 लोगों की भीड़ जूटाना भी मुश्किल हो रहा है। इस भीड़ में वे लोग भी शामिल है जो हाल ही में कांग्रेस के नेता बने है और टिकट के लिए अपनी दावेदारी पेश करने की अटकलों मे जुटे है।

    शहर की 8 सीटे जीतने के वादे हवाई

    कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने जब 300 लोगों की भीड़ के सामने जयपुर शहर की आठ विधानसभा सीटे आगामी विधानसभा चुनाव में जीतने की बात की तो आपस में ही कानाफूसी मे बात हवा में ही हवाई हो गई। कांग्रेस नेताओं के भाषण में जयपुर शहर की आठ विधानसभा सीटे जीतने के दावें किए जा रहे है लेकिन जब मंच के सामने बैठे लोगों की गिनती की जाती है तो संख्या ती सौ के आसपास ही निकलती है। ऐसे में कांग्रेस की जयपुर में जीत के दावे कितने सही होगं, इसका अंदाजा वहां मौजूद कांग्रेसजन चुटिकोयों में लगा लेते है लेकिन किसी की बोलने की हिम्मत नही होती।

    कांग्रेस के जनआंदोलन और पैदल मार्च की सच्चाई

    यह नजारा शहर कांग्रेस है जो राजस्थान सरकार के खिलाफ जन आंदोलन करने के लिए सड़को पर उतरी है। लेकिन सच्चाई से कांग्रेस ज्यादा दूर नही रह सकती। रविवार को शहर कांग्रेस ने किशनपोल विधानसभा क्षेत्र में पैदल मार्च किया और उसके बाद संजय सर्किल पहुंची जहा पीसीसी चीफ पायलट की जनसभा हुई। कांग्रेस द्वारा जो मार्च निकाले गए है उनमे एक बात समान है कि सभी क्षेत्रों में 100 से 150 लोग वे ही होते है, जो हर जगह मौजूद रहते है। ऐसे में जिस विधानसभा क्षेत्र में पैदल मार्च हो रहा होता है वहां की संख्या आझी रह जाती है। इनमे से भी पंच पर ही 50 से ज्यादा लोग चढ़े हुए होते है और इस पर कांग्रेस नेता शहर की आठ सीटे जीतने के दावे करती है। कांग्रेस पदाधिकारियों के इन दावों को कांग्रेसी ही नही पचा पा रहे है।

    कांग्रेसियों ने माना- हार हमारी पक्की है

    कांग्रेसियों का कहना है कि जिस जिला कांग्रेस के पदाधिकारियों की संख्या 350 से ज्यादा हो, 90 वार्ड अध्यक्ष और 16 ब्लाक अध्यक्ष हो, एक लोकसभा उम्मीदवार हो और एक राज्य सभा के पूर्व सांसद हो, आठ विधानसबा उम्मीदवार हो, 18 जीते हुए पार्षद और 73 पार्षद उम्मीदवार हो। इसके अलावा अग्रिम संगठनों के अध्यक्ष औऱ कार्यकारिणी त विभाग, प्रकोष्ठों के अध्यक्ष व उनकी कार्यकारिणी हो। अगर यह आंकड़ा गिना जाएं तो 1000 के पार होता है लेकिन कांग्रेस के मार्च में कांग्रेसियों समेत 300 लोग ही होते है।

    बिखरी हुई कांग्रेस के बिखरे सपने

    राजस्थान में कांग्रेस पूरी तरह से बिखर चुकी है। कांग्रेस के दिग्गजों में मची आपसी वर्चस्व की लड़ाई ने यहां से उसका सफाया कर दिया है। अशोक गहलोत, मोहन प्रकाश, सीपी जोशी जैसे नेताओं को दिल्ली की राजनीति ने हरा दिया है। अब इस प्रकार से कांग्रेस अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष तो कर रही है लेकिन अपने ही जब बाड़ खा रहे है तो खेत का क्या कसूर। आने वाले विधानसभा चुनाव मे साफ हो जाएगा कि जयपुर शहर का आठ सीटों में से कांग्रेस कितनी जीत पाती है।

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