जयपुर। देश में पड़ रही भीषण गर्मी के बीच एक बार फिर कोयला संकट सामने आया है। कोयला संकट के बीच केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के लिए 10 फीसदी विदेशी कोयला खरीदना अनिवार्य किया है। पहले 4 फीसदी ही विदेशों से इम्पोर्टेड कोयला खरीदना जरूरी था। नए बदलाव से राजस्थान सहित अलग-अलग राज्यों पर बड़ा वित्तीय भार आने वाला है। दूसरे शब्दों कहा जाए तो जल्द ही बिजली उपभोक्ताओं पर भार पड़ने वाला है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी केंद्र सरकार से कहा है कि इम्पोर्टेड कोयले के कारण आम उपभोक्ताओं पर पड़ने वाले अतिरिक्त भार को देखते हुए केंद्र सरकार इस अनिवार्यता को हटाए।
महंगी हो सकती बिजली
सूत्रों के मुताबिक अगर राज्य सरकार महंगा विदेशी कोयला इम्पोर्ट करेगी तो 1 रुपए यूनिट तक बिजली महंगी हो सकती है। फ्यूल सरचार्ज में बढ़ोतरी कर इसकी वसूली उपभोक्ताओं से की जा सकती है। फ्यूल सरचार्ज में थर्मल पावर प्लांट्स का फ्यूल यानी कोयले की खरीद रेट और उसे प्रदेश तक लाने के लिए लगने वाले सभी तरह के खर्चे, किराया,माल-भाड़ा शामिल होते हैं।
1736 करोड़ रुपए का पड़ेगा
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने दिसंबर, 2021 में एक एडवाइजरी जारी कह कहा था कि सभी राज्यों के केंद्र से अलॉक कुल कोयले का 4 प्रतिशत इम्पोर्टेड कोयला खरीदना होगा। इसे 25 अप्रैल, 2022 में बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया गया है। इस इम्पोर्टेड कोयले का भाव कोल इंडिया लिमिटेड की ओर से दिए जा रहे कोयले की कीमत से 3 गुना से भी ज्यादा है।