अलवर सांसद महंत चांदनाथ के निधन ने आगामी महीनों में प्रदेश में तीन उपचुनावों को न्यौता दे दिया है। चांदनाथ के निधन के बाद अलवर सांसद सीट रिक्त हो गई है। भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र की विधायक कीर्ति कुमारी का निधन भी हाल ही में हुआ है जिससे यह सीट भी रिक्त है। अजमेर सांसद सांवरमल जाट के आकस्मिक निधन से अजमेर की संसदीय सीट पहले से ही रिक्त चल रही है। उक्त सभी तीनों सीटों पर आने वाले कुछ महीनों में उपचुनाव होने वाले हैं। दूसरी ओर, राजस्थान में बीजेपी की वसुंधरा सरकार को 4 साल पूरे होने वाले हैं और अगले साल विधानसभा और उसके अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में यह उपचुनाव काफी घमासान होने वाला है।
अजमेर सीट पर है खास नजर
उपचुनावों में अजमेर संसदीय सीट को काफी अहम माना जा रहा है। पिछली बार 2014 के चुनावों में बीजेपी के सांवरलाल जाट ने विपक्ष के सचिन पायलट को हराया था। वर्तमान में पायलट कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं और इसी सीट से सांसद रह चुके हैं। ऐसे में पायलट को इस सीट से चुनाव लड़ाने को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। दूसरी ओर, अलवर संसदीय सीट पर जितेन्द्र सिंह को उतारा जा सकता है। जितेन्द्र सिंह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खासे नजदीकी हैं इसलिए उनकी दावे को हलके में नहीं लिया जा सकता है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के स्वास्थ्य कारणों के चलते पार्टी की बागड़ोर एक तरह से राहुल के ही हाथों में आ गई है। ऐसे में इन दोनों प्रतियाशियों के उपचुनाव लड़ने पर किसी तरह का संयष होने की आशंका कम ही है। मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र पर अभी स्थिति साफ नहीं है।
प्रत्याशी तलाशने की जद्दोजहद शुरू
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए उपचुनाव काफी अहम माना जा रहा है। दो संसदीय व एक विधानसभा सहित तीनों उपचुनावी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी प्रत्याक्षी तलाशने में जुट गई है। ऐसा ही कुछ विपक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी के साथ भी है। बीजेपी के लिए इन सीटों को बचाकर रखना काफी जरूरी हैं वहीं विपक्ष भी इन सीटों पर कब्जा जमाने का यह मौका आसानी से नहीं छोड़ने वाला है।