राजस्थान के प्रतापगढ़ में हुई तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता की मौत का खुलासा हो चुका है। शनिवार और रविवार को बड़े-बड़े मीडिया घरानों के बीच चर्चा का विषय बने मृतक ज़फर हुसैन की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह सामने आया है कि ज़फर की कार्डियो रेस्परेट्री से हुई हैं। स्थानीय पुलिस भी इसे लेकर बता चुकी थी की कथित सामाजिक कार्यकर्ता की मौत हार्ट अटैक से ही हुई थी। मामले में पुलिस और प्रशासन कुछ करता इससे पहले मीडिया के कुछ बड़े लोग दिल्ली में अपने एयर कंडिशन दफ्तर में बैठकर जफर की मौत को हत्या करार दे चुकी थी और इसका आरोप राज्य सरकार सहित नगर परिषद की टीम के माथें मंढ़ चुकी थी। इन महानुभावों को पुलिस और डॉक्टर्स की जरुरत नही थी और बिना पोस्टमॉर्टम के ही जज बनकर अपना फैसला सुना चुकी थी। आपकों बता दें कि ये वो मीडिया साथी है जो शायद अपनी जिंदगी में प्रतापगढ़ गये नही होंगे। कुछ राजनेताओं में भी इस मामले को हवा देने की कोशिश की थी लेकिन इस पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद सब बेकार हो गया। सोचा था कुछ दिन जफर के नाम से राजनीति कर अपने नंबर बढ़ा लेंगे लेकिन इरादों पर डॉक्टर्स की रिपोर्ट से इरादों पर पानी फिर गया।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से हुआ खुलासा, मौत दिल के दौरे से
प्रतापगढ़ में कथित तौर पर हुई सामाजिक कार्यकर्ता की मौत को बवाल बनाकर दो दिनों तर खूब उछाला। इस काम में राजनेता और मीडिया के कुछ लोगों ने अपनी-अपनी रोटियां सेंकने की कोशिश की लेकर डॉक्टर्स की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह खुलासा हो गया कि मृतक जफ़र हुसैन की मौत दिल के दौरे से ही हुई थी। रिपोर्ट के बाद उदयपुर आईजी ने भी पत्रकारों का बताया कि जफर के शरीर के सभी अंग स्वस्थ्य़ थे, शरीर पर कोई चोट के निशान नही थे जिससे यह कहा जा सके की मारपीट से उसकी मृत्यु हुई हो। पुलिस ने बताया कि जब नगर परिषद की टीम और मृतक कथित सामाजिक कार्यकर्ता के बीच बहस हुई थी तब मौके पर भीड़ जमा हो गई थी। नगर परिषद की टीम ने बहस के बाद पुलिस थाने में जाकर जफर के खिलाफ राज कार्य में बाधा ड़ालने और हिंसक हमला करने का मामला दर्ज करवा चुकी थी। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि जफर बहस के बाद घर चला गया था। जिसके कुछ देर बाद उसे कार्डियो अटैक आता है और उसका बड़ा भाई उसे जिला अस्पताल में ले जाता है और इलाज के दौरान उसकी मौत हो जाती है।
जिन्हे वास्तविकता पता नही वो सुना रहे थे अपना फैसला
ज़फर हुसैन की मौत कैसे हुई? जिस दिन ज़फर की मौत हुई थी उस दिन वाकई में क्या हुआ था? पुलिस क्या कह रही है? डॉक्टर्स क्या कह रहे हैं ? बातों में बिना सरोकार के दिल्ली के बड़े बड़े पत्रकार इस मामले की तह तक पहुंच गये और अपना फैसला सुना दिया। और तो और इन लोगों ने बिना पुलिस, डॉक्टर और जांच के दोषी भी सिद्ध कर दिए। लेकिन वास्तविकता को देख सभी चुप हैं । मामले को कुछ नेताओं ने में राजनीतिक रंग में भी रंगना चाहा लेकिन असफल रहे। पुलिस और मेडिकल रिपोर्ट को देखकर सभी चुप हो गये हैं।