पिछले कुछ घंटों में बिहार के राजनीतिक गलियारे में आए भूचाल ने कांग्रेस और आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) की जड़ें ही खोद कर रख दी। बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में जनता दल यूनाइटेड (जदयू), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के महागठबंधन की जो सरकार चल रही थी वो कल मुख्यमंत्री नीतीश के एक फैंसले के बाद अचानक ही ढह गई। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे व बिहार के कल तक के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर लगे भ्रष्टाचार के धब्बों ने तो पूरे महागठबंधन को ही मैला कर दिया था। नीतीश ने जनता में अपनी साफ़ छवि को बरकरार रखते हुए कल मुख्यमंत्री का पद त्याग दिया था। नीतीश ने कहा था कि सहयोगी पार्टी पर लगे आरोपों के बीच सरकार चलाना मुमकिन नहीं है। नीतीश के इस्तीफे का पूरे देश ने स्वागत किया था। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने पर नीतीश कुमार का स्वागत किया था।
आज सुबह 10 बजे बिहार से भाजपा ने नीतीश को बाहर से समर्थन देकर फिर से मुख्यमंत्री बना दिया। सवेरे नीतीश ने 131 विधायकों के समर्थन पत्र के साथ राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी के सम्मुख बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
दागदार आरजेडी से किनारा किया:
अभी हाल ही बिहार में लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं खासकर खुद राजद सुप्रीमो लालू और उनके बेटे तेजस्वी पर घोटालों के आरोप लगे थे। नीतीश कुमार और जदयू के कई नेताओं के साथ ही बिहार की जनता पिछले कई दिनों से तेजस्वी यादव पर लगे आरोपों पर उनसे सफाई मांग रही थी। सीबीआई जांच में तेजस्वी के खिलाफ हुए खुलासों के बाद से बिहार में तेजस्वी के प्रति रोष उमड़ रहा था। नैतिकता के आधार पर जनता तेजस्वी के इस्तीफे की मांग कर रही थी। इस गहमागहमी के बीच तेजस्वी ने चुप्पी साध रखी थी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कल रात राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी को अपना इस्तीफ़ा सौंप कर यह साफ़ सन्देश दिया कि भ्रष्टाचार और घोटालों में डूबे हुए व्यक्ति और पार्टी के साथ अब सरकार चलना संभव नहीं होगा।
भाजपा ने दिया नीतीश का साथ, फिर बने मुख्यमंत्री:
जनता के सामने अपनी साफ़ छवि के लिए जाने जाने वाले नीतीश कुमार ने जब भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे उपमुख्यमंत्री तेजस्वी से सफाई मांगी तो तेजस्वी इस पर जनता के सामने अपना पक्ष नहीं रख सके। नैतिकता और आदर्श का परिचय देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश ने राजभवन जाकर अपना इस्तीफ़ा दे दिया था। गठबंधन से किनारा कर चुके नीतीश को भारतीय जनता पार्टी ने बाहर से समर्थन देते हुए फिर से मुख्यमंत्री बना दिया। कुल 131 विधायकों के समर्थन पत्र को राज्यपाल के सामने पेश करते हुए नीतीश कुमार ने फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अब जदयू के 71 विधायकों के साथ भाजपा के 58 विधायकों ने नीतीश का समर्थन कर उन्हें 243 विधायकों वाले बिहार विधानसभा में बहुमत से आगे कर विधायक दल का नेता चुन लेंगे।
छठी बार बने बिहार के मुख्यमंत्री:
बिहार की राजनीति में विकास पुरुष के नाम से जाने जाने वाले नीतीश कुमार आज शपथ लेने के साथ ही छठी बार बिहार के मुख्यमंत्री बन गए। नीतीश इससे पहले भी एनडीए के सहयोग से 4 बार व महागठबंधन के बूते अभी हाल ही में एक बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। सबसे पहले नीतीश 3 मार्च 2000 से 10 मार्च 2000 के बीच मुख्यमंत्री बने थे। उसके बाद 24 नवंबर 2005 से 24 नवंबर 2010 के मढ्या एक स्थाई कार्यकाल में बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। बाद में लालू प्रसाद यादव को हराकर 26 नवंबर 2010 से 19 मई 2014 के बीच बिहार का मोर्चा संभाला था। लेकिन किन्ही कारणों से जदयू के ही पूर्व नेता जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया था। फिर राष्ट्रपति को अपना बहुमत प्रदर्शित कर पुनः मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद अभी नवंबर 2015 में महागठबंधन के सहयोग से नीतीश फिर बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। अब आखिरकार महागठबंधन से दूर होकर अपनी पूर्व सहयोगी एनडीए के साथ सहयोग से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली हैं।