सफलता की कहानी: इस अभियान से राजस्थान के 21 हजार से ज्यादा गांवों का ऐसे हुआ नक्शा पलट

0
1386
MJSA Rajasthan
Brainchild of CM Vasundhara Raje, MJSA Rajasthan has began a revolutionary change in the State

राजस्थान में हर साल बारिश देश के अन्य हिस्सों के मुकाबले औसत से भी कम होती है। राज्य के एक बड़े भूभाग पर थार का मरूस्थल है। इस वजह से प्रदेश को सबसे कम वर्षा वाला या शुष्क प्रदेश भी कहा जाता है। माना जाता है कि जहां वन ज्यादा होते हैं वहां वर्षा भी अच्छी होती है। लेकिन जहां मानसून में भी बारिश औसत से कम हो वहां सीमित संसाधनों का बेहतर उपयोग कैसे किया जाए यह आज से 4 साल पहले तक प्रदेश के लोग नहीं जानते थे। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का ध्यान सबसे पहले प्रदेश में पानी के संकट की ओर ओर गया। उन्हें अपने प्रदेश की जनता की यह समस्या का समाधान करने का ख्याल आया। और आज उसी का नतीजा है कि राजस्थान के 21,000 से ज्यादा गांवों में सालभर के लिए प्रर्याप्त पानी जमा हो गया। सीएम राजे द्वारा 2013 में शुरू की गई मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना से प्रदेश में आज पानी का संकट कहीं आस पास नज़र नहीं आता है। इसी कड़ी में आज हम बात कर रहे हैं उदयपुर जिले के उम्मेदपुरा गांव की जहां मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के तहत निर्माण किए गए पानी के स्त्रोतों से गांव की कायापलट हो गई है। MJSA Rajasthan

दक्षिणी राजस्थान के उदयपुर जिले के उम्मेदपुरा गांव का किशन लाल अहीर आज एक खुशहाल इंसान है। वजह बहुत साफ है, अक्सर पानी के कमी के चलते वह साल में सिर्फ एक बार ही फसल बोया करता था, लेकिन अब वह प्रर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध होने के कारण साल में दो फसलों की उपज करता है। MJSA Rajasthan

किशन लाल ने बताया कि, इस क्षेत्र के लोगों को लंबे समय से पानी की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। हमारे गांव में पानी का स्तर 50 फीट से भी नीचे चला गया था। गर्मी के महीनों के दौरान अधिकांश कुओं और हैंडपंम्पस में पानी सूख जाया करता था और हमें अपनी दैनिक जरूरतों के लिए पानी के टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ता था। MJSA Rajasthan

MJSA Rajasthan
The Changing Face Of Rajasthan

पानी की कमी के कारण लोग पशु तक बेचने लगे थे

गांव के एक और किसान सुरेश कुमार ने बताया कि, गांव में पर्याप्त पानी की कमी के कारण कई ग्रामीणों ने अपने पशुओं को इसलिए बेच दिया क्योंकि उन्हें लगता था कि वे शायद ही पशुओं के लिए हरा चारा का प्रबंध कर सकेंगे। उन्होेंने आगे बताया कि, पहले हम सिर्फ खरीफ की खेती किया करते थे, लेकिन अब हम रबी की उपज भी कर रहे हैं। MJSA Rajasthan

 कैसे पानी की कमी से जूझ रहा क्षेत्र आत्मनिर्भर हो गया?

वैज्ञानिक दृष्टिकोण और प्राचीन पारंपरिक प्रथाओं के संयुक्त संयोजन से पूरे क्षेत्र के सैकड़ों गांवों में हरियाली छा गई है। जहां कुछ साल पहले तक किसानों का जीवन बेहद मुश्किल हो गया था। यह परिवर्तन राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना (एमजेएसए) के तहत आया। इस योजना के तहत यूएन जल संरक्षण के सलाहकार टी हनुमंत राव और राजस्थान रिवर बेसिन एवं जल संसाधन योजना प्राधिकरण सरल क्रिया शुरू करने के लिए एक साथ आए, जिससे सूखे से प्रभावित क्षेत्रों में बदलाव लाया जा सका।   MJSA Rajasthan

Read more: MJSA scheme is a a massive climate change adaptation programme: NCLT 

योजना में गांव के आसपास खोदे गए गड्ढों से बढ़ा जलस्तर

इस योजना में गावों के आसपास के पहाड़ी इलाकों में 10 से 15 फीट लंबे, एक-डेढ़ फीट चौड़े और 2 फीट गहरे गड्ढे खोदे गए। इसके अतिरिक्त, जल संरक्षण के लिए गांवों के पास कई तालाब खोदे गए थे। ये सैकड़ों गड्ढे हवा से देखने पर किसी अनलिंक नहर की तरह नज़र आते थे। लेकिन इनके परिणामस्वरूप कई जगहों पर पानी स्तर बढ़ गया और सतह से मात्र तीन फीट नीचे ही पानी उपलब्ध था। बारिश का पानी जो अक्सर बहकर गांव से बाहर चला जाता था, लेकिन अब वह गड्ढों, तालाओं में इकट्ठा होने से पानी का स्तर बढ़ाने में मदद कर रहा था। इन गड्डों ने सुनिश्चित किया कि पानी एक नियंत्रित तरीके से जमीन में जाता है और पूरे वर्ष उपलब्ध रहता है।

इसके अतिरिक्त, गड्ढों और तालाबों के आसपास हजारों स्थानीय पौधे मिट्टी के कटाव और जल संरक्षण के लिए लगाए गए। यहां जनवरी 2016 में शुरू किए गए इस प्रोग्राम से सैकंड़ों गांवों में हरियाली छाई हुई है जिससे गांव में समृद्धि आने लगी है। नदी बेसिन प्राधिकरण में एमजेएसए सदस्य राकेश रेड्डी ने बताया कि, पहाड़ी इलाकों में संरक्षण कार्यों के चलते अब पानी या चारा की कोई समस्या नहीं है।

तेलंगाना में भी सफल रही यह प्रणाली

12वीं शताब्दी की काकतिया काल की श्रृंखला-लिंक-टैंक प्रणाली इससे पहले तेलंगाना राज्य में भी सफलता पूर्वक अपनाई जा चुकी है। इस एमजेएसए योजना के तहत राज्य में अब तक लगभग 7,500 से ज्यादा गावों में दो चरणों में फायदा हुआ। लगभग 10 लाख लोगोें को इसका लाभ हुआ है।

21 हजार गांवों को कवर करने की योजना

राज्य सरकार ने इस योजना के पहले दो चरणों में 3,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। वसुंधरा राजे सरकार ने इस कार्यक्रम के चार वर्षों में 21,000 गांवों को कवर करने का लक्ष्य बनाया है। इस योजना के परिणामस्वरूप अब तक दो चरणों में 18,000 हजार घन मीटर से अधिक पानी का अतिरिक्त संग्रह हुआ है। 

कृषि उत्पादन में हुई बढ़ोतरी

जिले में सिंचित क्षेत्रों में रबी फसलों के उत्पादन में 4.64 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। स्थानीय स्तर पर मक्का, मूंग, चना व मूंगफली जैसी फसलों में 12.49 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। योजना का लाभ उत्पादकता में साफ दिखाई देता है क्योंकि कृषि उत्पादन में 18 से 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

सरकार का प्रशंसनीय कदम

वर्तमान सरकार की इस योजना ने ग्रामीणों को बेहतर जीवन देने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। किशन लाल अहीर और सुरेश कुमार जैसे किसान अब निराशा की दुनिया से निकलकर जीवन को और बेहतर बनाने के बारे में सोच सकते हैं।

RESPONSES

Please enter your comment!
Please enter your name here