जानें.. क्या है राजस्थान सरकार का ‘कुशल मंगल कार्यक्रम’

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राजस्थान में वसुंधरा राजे सरकार द्वारा 2015 से मातृ-शिशु मृत्यु दर कम करने के साथ ही सुरक्षित मातृत्व की परिकल्पना को साकार करने के लिए गर्भावस्था की जोखिम को कम करने की दिशा में प्रशंसनीय कदम उठाया गया है। Kushal Mangal Karyakram

इसके लिए सरकार द्वारा चलाया गया ‘कुशल मंगल कार्यक्रम’ गर्भवती महिलाओं को खुशहाल रखने में मददगार साबित हो रहा है। राज्य में मातृ मृत्यु दर को कम करने के उददेश्य से राज्य सरकार द्वारा सतत रूप से कई महत्वपूर्ण कार्य एवं प्रयास किए जा रहे है। इसी दिशा में सुरक्षित मातृत्व की परिकल्पना को साकार करने हेतु राज्य में हाईरिस्क प्रेगनेंसी को विशेष महत्व प्रदान कर उनका चिन्हीकरण, लाईन लिस्टिंग, उपचार एवं फॉलोअप किया जाता है। Kushal Mangal Karyakram

राजस्थान में अनुमानतः 19 लाख 60 महिलाएं प्रत्येक वर्ष गर्भवती होती है, जिनमें से 10 प्रतिशत (अनुमानतः 1.9 लाख) केसेज में जटिलताएं उत्पन्न होती है। आइये जानते हैं राजे सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘कुशल मंगल कार्यक्रम’ के बारे में..

कुशल मंगल कार्यक्रम के माध्यम से गर्भावस्था प्रसव काल को सुरक्षित बनाया

प्रदेश में अनुमानतः 19,60,000 महिलाएं प्रत्येक वर्ष गर्भवती होती है, जिनमें से 10 प्रतिशत (अनुमानतः 1.9 लाख) केसेज में जटिलताएं उत्पन्न होनी को संभावना होती है। इन 1.9 लाख एएनसी में से 80 प्रतिशत (1.52 लाख) प्रसूताओं को प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा समय पर पहचान कर उनका प्रबंधन किया जा सकता है जबकि शेष 20 प्रतिशत (38,000) महिलाओं को सी-सेक्शन एवं अन्य प्रसूति जटिलता प्रबंधन हेतु विशेषज्ञ/स्त्रीरोग विशेषज्ञ की आवश्यकता होती है।

स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा उप स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर हाईरिस्क प्रेगनेंसी के चिह्निकरण, उपचार एवं फॉलोअप के संबंध में आवश्यक कार्रवाई की जाती है। एएनएम द्वारा सभी गर्भवती महिलाओं का पंजीयन किया जाता है। एएनएम अपने क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं का समय पर पंजीयन कर प्रसव पूर्व जांच कर प्रसव की जटिलताओं की जांच करती है। Kushal Mangal Karyakram

प्रसव पूर्व जांच के दौरान जटिलता पाए जाने के समय से लेकर प्रसव के 42 पश्चात तक के चिंहित गर्भवती महिला के रिकॉर्ड का संधारण हाईरिस्क प्रेगनेंसी रजिस्ट्रर में इंद्राज कर लाइन लिस्टिंग की जाती है। साथ ही फॉलोअप के दौरान किसी भी तरह के खतरे लक्षण मिलने पर चिकित्सा संस्थान पर उपचार एवं प्रबंधन के लिए तुरंत रैफर किया जाता है।

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राजस्थान सरकार की इस योजना का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं में जटिलता का समय पर चिन्हिकरण, लाइनलिस्टिंग, समय पर रेफरल, ट्रेकिंग एवं फॉलोअप कर उपयुक्त चिन्हित चिकत्सा संस्थान पर संस्थागत प्रसव करवाया जाता है ताकि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर एवं रूग्णता में कमी लाई जा सके। Kushal Mangal Karyakram

इस कार्यक्रम के शुरू होने के बाद प्रदेश में हर साल गर्भावस्था के दौरान होने वाली 4 हजार मृत्यु को रोकने में मदद मिल रही है।

ये हैं कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य और छः सूत्रीय दृष्टिकोण

  • गर्भावस्था के दौरान जटिलताओं एवं खतरे की शीघ्र पहचान एवं प्रबंधन।
  • एचआरपी की पहचान, ट्रेकिंग, लाइन लिस्टिंग एवं फॉलोअप हेतु एक तंत्र की स्थापना।
  • विशेष केसेज को विशेषज्ञ देखभाल एवं प्रबंधन की सुविधाएं उपलब्ध करवाते हुए संस्थागत प्रसव कराना।
  • रेफरल हेतु निःशुल्क परिवहन सुविधा निश्चित रूप से उपलब्ध कराना। Kushal Mangal Karyakram
  • समुदाय स्तर पर नियोजित गर्भाधान, दो बच्चों के बीच अंतराल एवं गर्भाधारण पूर्व एनिमिया की रोकथाम हेतु जागृति पैदा करना। Kushal Mangal Karyakram
  • यह कार्यक्रम राज्य के सभी 33 जिलो में लागू किया गया है। कुशल मंगल कार्यक्रम छः सूत्रीय दृष्टिकोण का अनुसरण करता है जिसमें प्रत्येक गर्भवती महिला में अधिक जोखिम की शीघ्र पहचान, लाइन लिस्टिंग, प्रबंधन एवं फॉलोअप को केन्द्रित किया गया है। Kushal Mangal Karyakram

छः सूत्रीय दृष्टिकोण: गर्भधारण की योजना। एचआरपी जांच एवं ट्रेकिंग। राजस्थान एचआरपी काउंसलिंग स्टेट हेल्प डेस्क के तहत् 104 कॉल सेंटर के द्वारा एचआरपी महिलाओं का फॉलोअप। रेफरल हेतु निःशुल्क परिवहन सुविधा की निश्चित रूप से उपलब्धता। एचआरपी महिला का योजनाबद्ध संस्थागत प्रसव। माता एवं शिशु की प्रसवोत्तर देखभाल।

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