राजस्थान कांग्रेस में चल रहा तूफान ख़त्म होने का नाम ही नही ले रहा है। पूर्वमुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व राजस्थान प्रभारी गुरूदास कामत के बीच चल रही तनातनी अपने चरम पर है। गहलोत को कांग्रेस की केंद्रीय राजनीति में घुसने का मौका मिला तो उन्होने इसे लपक लिया लेकिन इस बात से नाराज राजस्थान प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुरूदास कामत ने कांग्रेस के सभा पदों से इस्तीफा दे दिया। कामत-गहलोत संघर्ष बढ़ता ही जा रहा है जिसको इससे भी समझा जा सकता है कि नाराज कामत ने सोशल मीडिया से भी कांग्रेस के सभी पदों को त्याग दिया है। कामत की ये नाराजगी क्या मोड़ लेगी यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा लेकिन एक बात साफ जरूर हैं कि कामत की इस नाराजगी से गहलोत के चेहरे पर खुशी जरूर दिखाई दे रही है।
कामत को मनाने की सभी कोशिशें बेकार
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य सहित सभी पदों से इस्तीफा देने वाले गुरुदास कामत को मनाने की कोशिशों पर पार्टी को बड़ा झटका लगा है। लगता है कामत अब कांग्रेस में घर वापसी करने के लिए तैयार नहीं है। तभी तो उन्होंने अपने फेसबुक प्रोफाइल और ट्विटर अकाउंट पर स्टेटस बदल कर सभी वर्तमान पदों के आगे ‘पूर्व’ जोड़ लिया है। यानी अपने प्रोफाइल में पूर्व महासचिव एवं पूर्व वर्किंग कमेटी सदस्य कर लिया है।
गुजरात छीनने के कारण गहलोत से नाराज है कामत
कामत ने करीब एक सप्ताह पहले ही अपना इस्तीफा राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भेज दिया था। केंद्रीय नेतृत्व ने अभी तक उनका इस्तीफा तो स्वीकार नहीं किया है, लेकिन उनसे गुजरात का प्रभार वापस ले लिया। यह जिम्मा तत्काल प्रभाव से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सौंप दिया। कामत के पास राजस्थान, दादर नगर हवेली और दमन एवं दीव का प्रभार भी था। इनको लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं है। तो अभी तक कामत के इस्तीफे को लेकर पार्टी ने कोई स्थित स्पष्ट की है। ही राजस्थान के प्रभारी को लेकर कोई नई घोषणा की गई है।
पहले भी कर चुके हैं सन्यास की घोषणा
गौरतलब है कि कामत ने इससे पहले भी पिछले साल सभी पदों से इस्तीफा देकर संन्यास की घोषणा कर दी थी, लेकिन बाद में मान गए। ऐसे में उनके समर्थकों का यह भी मानना है कि भले कामत पार्टी पदों से खुद को अलग कर लें, लेकिन कांग्रेस हित में वे मान जाएंगे। प्रदेश कांग्रेस की तरफ से भी फिलहाल इस मसले को लेकर पार्टी नेता बच रहे हैं।