मरुधर में पानी की कमी पूरी करता है ‘जल स्वावलंबन’ अभियान जानिए कैसे मिलेगा लाभ

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Vasundhara Raje Jal Swavlamban Abhiyan

प्रदेश में गांवों में लगातार गिरते भूजल लेवल को नियंत्रित करने और व्यर्थ बहते वर्षा के जल को रोकने के लिए मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान की शुरूआत की। मुख्यमंत्री की यह महत्वकांक्षी योजना सही मायनों में मरुधर में पानी की कमी को पूरा करती है। Jal Swavlamban Abhiyan

अभियान के अन्तर्गत चयनित गांवों में पारंपरिक जल संरक्षण के तरीकों जैसे तालाब, कुंड, बावड़ियों, टांके आदि का मरम्मत कार्य एवं नई तकनीकों से एनिकट, टांके, मेड़बंदी आदि का निर्माण कर पौधारोपण भी शामिल है। इस योजना की शुरूआत 27 जनवरी, 2016 को हुई। इस योजना का मूल उद्देश्य था बारिश के पानी की एक-एक बूंद को सहेजकर गांवों को जल आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाना। Jal Swavlamban Abhiyan

अभियान के पहले चरण में 1270 करोड़ रुपये की लागत से करीब 94 हज़ार निर्माण कार्य पूरे किये गए। अभियान में बनी जल संरचनाओं से लम्बे समय के लिए पानी इकट्ठा हुआ है और गांव जल आत्मनिर्भर बने हैं। मुख्यमंत्री की इस योजना को अविश्वसीय सफलता हासिल हुई है और इसी साल मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान योजना के तीसरे चरण का आरंभ किया गया है।

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खेती व पेयजल के लिए वरदान है योजना

मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान ग्रामीण क्षेत्रों में खेती और पेयजल समस्या के निराकरण के लिए वरदान साबित हो रहा है। इस अभियान से न केवल ग्रामीण इलाकों में पीने की पानी की समस्या हल हुई है, साथ ही फसलों के लिए पानी का संकट भी पूरी तरह से खत्म हुआ है। इस अभियान के बाद कुंओं का जलस्तर भी ऊपर आ गया है। पशुओं के लिए भी उनके बाड़े के पास ही पानी उपलब्ध हो जाने से पशुपालकों को भी इसका फायदा मिला है। अब वर्षा का पानी बहकर बाहर जाने की बजाय गांवों के ही निवासियों, पशुओं और खेतों के काम आ रहा है।

Jal Swavlamban Abhiyan
Vasundhara Raje Jal Swavlamban Abhiyan

भूजल स्तर में हो रहा है लगातार सुधार

मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान और लोगों में जल संरक्षण के प्रति बढ़ती जागरुकता और  जैसे कार्यों के चलते प्रदेश के 21 जिलों में भूजल स्तर में सुधार हुआ है। योजना के बाद भूजल स्तर में 4.66 मीटर की बढ़ोतरी दर्ज हुई है जबकि 45 लाख पशुधन एवं 41 लाख ग्रामीण लाभान्वित हुए हैं।

तीन चरणों में 13 हजार गांवों को मिला पानी

पहला चरण Jal Swavlamban Abhiyan

मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान का पहला चरण 27 जनवरी, 2016 से 30 जून, 2016 तक चला जिसमें प्रदेश की 295 पंचायत समितियों के 3 हज़ार 529 गांवों का चयन किया गया। इन जल संरचनाओं के निकट 26.5 लाख से ज़्यादा पौधारोपण भी किया गया है। इन पौधों का अगले 5 सालों तक संरक्षण भी इस अभियान में शामिल है। इसमें भू-संरक्षण, पंचायतीराज, मनरेगा, कृषि, उद्यान, वन, जलदाय, जल संसाधन एवं भूजल ग्रहण आदि 9 राजकीय विभागों, सामाजिक धार्मिक समूहों एवं आमजन की भागीदारी सुनिश्चित की गई। अभियान के पहले चरण में 1270 करोड़ रुपए की लागत से करीब 94 हज़ार निर्माण कार्य पूरे हुए।

दूसरा चरण

अभियान का दूसरा चरण 9 दिसम्बर, 2016 से शुरू हुआ जिसमें 4 हज़ार 200 नए गांवों का चयन किया गया व 66 शहरों (प्रत्येक ज़िले से 2) को भी अभियान में शामिल किया गया। शहरी क्षेत्रों में पूर्व में निर्मित बावड़ियों, तालाबों, जोहडों आदि की मरम्मत का कार्य किया गया। इस चरण में रूफ़ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के अलावा परकोलेशन टेंक भी बनाये गए हैं। इस चरण में 2100 करोड़ रुपए की लागत से जल संरचनाओं में सुधार कार्य करवाए गए हैं।

तीसरा चरण

अभियान के तीसरे चरण की शुरूआत 9 दिसम्बर, 2017 से हो चुकी है जिसमें नए 4240 गांवों को शामिल किया गया है। इस अभियान के तहत आगामी वर्षों में राज्य के 21 हज़ार गांवों को लाभान्वित कर जल आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा है। योजना के थर्ड फेज में 60 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही चौथे व 5वें चरण की तैयारी शुरू हो गई है।

अभियान से मिले लाभ

वैसे तो मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान से मिले लाभों को पूरी तरह बता पाना थोड़ा मुश्किल है लेकिन सही मायनों में कहा जाए तो हजारों गांवों के ग्रामीणों को न केवल पानी का पानी नसीब हुआ है, अपितु सिंचाई की समस्या भी दूर हुई है।

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