गुर्जर आंदोलन: बैंसला गुट पर कसा शिकंजा, 8 जिलों में 3 महीने तक लगा रासुका

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जयपुर। राजस्थान में 1 नवंबर को गुर्जर आंदोलन की चेतावनी को देखते हुए अशोक गहलोत सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। आंदोलन से निपटने के लिए गृह विभाग ने गुर्जर बाहुल्य भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, दौसा, टोंक, बूंदी, झालावाड़ और करौली में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगा दिया है। गुर्जर आंदोलन के मद्देनजर गहलोत सरकार ने राज्य के 8 जिलों में रासुका (NSA) लगा दिया है। गृह विभाग ने इस बाबत शनिवार को अधिसूचना जारी कर दी। अधिसूचना की तिथि से आगामी 3 महीने तक आदेश प्रभावी रहेगा। गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने अति पिछड़ा वर्ग (मोस्ट बैकवर्ड क्लास यानी एमबीसी वर्ग) के पांच फीसदी आरक्षण सहित अन्य मांगों को लेकर एक नवंबर को फिर से आंदोलन की राह पकड़ने का एलान किया है।

भरतपुर में धारा-144 लागू, बयाना पहुंची पुलिस कंपनियां
भरतपुर के बयाना में जीआरपी के 50 और आरपीएफ के 150 जवान पहुंच चुके हैं। बयाना, रूपवास, बैर, भुसावर और जेन तहसीलों में इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई है। शांति व्यवस्था को प्रभावित करने वाले लोगों पर रासुका लगाने के आदेश दिए गए हैं। भरतपुर, धौलपुर, दौसा, करौली, सवाई माधोपुर, टोंक, बूंदी, झालावाड़ कलेक्टर्स को गृह विभाग द्वारा आदेश दिए गए हैं।

बैंसला गुट पर कसा शिकंजा
शुक्रवार को महज चार मिनट की प्रेसवार्ता में कर्नल बैंसला ने दो-टूक कहा कि अब कोई वार्ता नहीं, आंदोलन होगा। 17 अक्टूबर को गांव अड्डा में हुई गुर्जर समाज की महापंचायत में राज्य सरकार को मांगों के लिए 15 दिन का समय दिया था, लेकिन सरकार ने मांगों को अनदेखा कर सकारात्मक पहल नहीं की। एक भी मांग नहीं मानी है। ऐसे में एमबीसी समाज में कड़ा आक्रोश है। गहलोत सरकार ने 8 जिलों में रासुका लगाकर वार्ता में शामिल नहीं हो रहे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला गुट पर शिकंजा कस दिया है। राज्य सरकार बैंसला गुट को वार्ता के लिए लगातार बुला रही है, लेकिन बैंसला गुट वार्ता नहीं कर रहा है। अब ऐसे में माना जा रहा है कि 1 नवंबर को यदि आंदोलन होता है तो सरकार बैंसला गुट के नेताओं को गिरफ्तार कर सकती है।

हिरासत में लेने की शक्ति देता है कानून
सुरक्षा अधिनियम-1980, देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित एक कानून है। यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को किसी भी संदिग्ध नागरिक को हिरासत में लेने की शक्ति देता है। सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति कानून व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में उसके सामने बाधा खड़ी कर रहा है तो वह उसे हिरासत में लेने का आदेश दे सकती है। इस कानून का इस्तेमाल जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, राज्य सरकार अपने सीमित दायरे में भी कर सकती है।

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