जयपुर। अशोक गहलोत सरकार ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस पार्टी राज्य में धरना प्रदर्शन कर रही है। दो नवंबर को विधानसभा में केंद्रीय कृषि कानूनों के प्रावधान बदलने के लिए तीन कृषि विधेयक पारित किए थे। एक महीने से इन विधेयकों पास नहीं किया गया था। इन विधयेकों के साथ पारित हुए महामारी विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन इन तीन कृषि से जुड़े विधेयकों को राज्यपाल ने रोक लिया है।
पहला विधयेक कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) राजस्थान संशोधन विधेयक 2020 है, इसमें किसान के उत्पीड़न पर सात साल तक की सजा और 5 लाख जुर्माने का प्रावधान है।
दूसरा विधेयक कृषक( सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार राजस्थान संशोधन विधेयक है। इस विधेयक में संविदा खेती को लेकर कड़े प्रावधान है, किसान से एमएसपी से कम पर संविदा खेती का करार मान्य नहीं होने और एमएसपी से कम पर करार करने को बाध्य करने पर 7 साल तक सजा और 5 लाख जुर्माने का प्रावधान किया है।
तीसरा विधेयक आवश्यक वस्तु (विशेष उपबन्ध और राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020 है जिसमें सरकार कृषि जिंसों पर स्टॉक लिमिट लगा सकेगी इसका प्रावधान है, केंद्र ने यह प्रावधान हटा दिया था।
राज्य सरकार ने पारित कर दिया है तीनों विधेयक
राज्य सरकार ने तीनों कृषि विधेयक पारित तो कर दिए लेकिन अब ये तीनों विधेयक राज्यपाल के पास ही अटक गए हैं। केंद्रीय कानूनों में संशोधन होने के कारण इन विधेयकों के प्रावधान तब तक कानून नहीं बन सकते जब तक राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिल जाती। मौजूदा राजनीतिक हालात को देखते हुए इन तीनों विधयेकों को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलना लगभग नामुमकिन है, इन विधेयकों का इसलिए अटकना तय है।