दिल्ली हिंसा: प्रदर्शनकारियों की गोली का शिकार हुए कॉन्स्टेबल रतनलाल को मिला शहीद का दर्जा, अंतिम यात्रा में हजारों आंखे नम

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    जयपुर। दिल्ली में सीएए के विरोध के दौरान हुए हिंसक प्रदर्शन में उग्र भीड़ की गोली का शिकार हुए दिल्ली पुलिस के जवान रतन लाल को गृह मंत्रालय ने शहीद का दर्जा दे दिया है। गृह मंत्रालय ने इसके प्रेस विज्ञप्ति जारी कर रतन लाल को श्रद्धाजंलि अर्पित की व दिल्लीवासियों से शांति बनाए रखने की अपील भी की है। बता दें कि ग्रामीणों की मांग थी कि पुलिसकर्मी रतन लाल को शहीद का दर्जा दिया जाए। दिवंगत पुलिसकर्मी के परिजन और स्थानीय ग्रामीण सीकर जिले के सदीनसर गांव के पास सड़क पर प्रदर्शन कर रहे थे। परिजन कांस्टेबल रतनलाल के शव के साथ प्रदर्शन कर रहे थे। बताया जा रहा है कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां व सीकर सांसद सुमेधानंद सरस्वती ने केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर रतन लाल को शहीद का दर्जा देने की मांग की थी।

    अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब
    सीकर निवासी रतन लाल की अंतिम यात्रा में हुजुम उमड़ पड़ा। इस दौरान जब शहीद रतन लाल की बेटियां शव से लिपटकर रोने लगी तो वहां मौजूद सभी लोगों की आंखे नम हो गई। अंतिम संस्कार की रस्मों के बीच स्थानीय लोगों ने जय हिंद व भारत माता की जय के जमकर नारे लगाए तथा दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की।

    ग्रामीणों ने किया प्रर्दशन
    इस मांग को लेकर ग्रामीणों ने फतेहपुर-झुंझुनू मार्ग को जाम कर दिया था। प्रदर्शनकारी ग्रामीणों का कहना था कि जब तक रतन लाल गुर्जर को शहीद का दर्जा नहीं दिया जाता, तब तक वह अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। दिल्ली पुलिस में नौकरी करने वाले रतन लाल की मां संतरा देवी और भाई दिनेश गांव में अपने परिवार के साथ रहते हैं। उनके दिवंगत होने के बाद ग्रामीण ने गांव के स्कूल के एक स्टेडियम का नामकरण करने की मांग कर रहे हैं।

    गोकुलपुरी के एसीपी ऑफिस में थे तैनात
    दिल्ली के गोकुलपुरी एसीपी ऑफिस में तैनात हेड कांस्टेबल रतन लाल को अपनी जान हिंसा के दौरान गंवानी पड़ी। दिल्ली के गोकुलपुरी थाना क्षेत्र के मौजपुर में वो पत्थरबाजी के दौरान घायल हो गए थे। राजस्थान के सीकर के रहने वाले रतन लाल ने 1998 में दिल्ली पुलिस में कॉन्स्टेबल के तौर पर नियुक्त हुए थे। घटना के दौरान वो गोकुलपुरी एसीपी के ऑफिस में नियुक्त थे। जानकारी के अनुसार, वे यहां अपनी पत्नी और 3 बच्चों के साथ रहते थे।

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