कांग्रेस के लिए राहुल गांधी ‘राहु’ साबित हो रहे हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। जब से राहुल गांधी ने नेतृत्व संभाला है पार्टी ने एक जगह को छोड़कर कहीं भी सफलता हासिल नहीं की है। ऐसे में उनके नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं। हाल ही में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस फिर से सत्ता में आने में विफल रही। वहीं, बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। राज्यपाल ने बीजेपी को सरकार बनाने का निमंत्रण भेजा। Rahul Gandhi Congress
बीजेपी कर्नाटक में सत्ता में वापसी करने जा रही है। गुरुवार को बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा ने राज्य के 23वें मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उन्होंने कहा कि वे 15 दिन के समय के पहले ही बहुमत साबित कर देंगे। बीजेपी के कर्नाटक फतेह के साथ ही 22 राज्यों में अपनी सरकार हो गई है। यानि देश के 75 प्रतिशत से ज्यादा राज्यों में अब बीजेपी की सरकार है। वहीं, एक समय देश की सबसे बड़ी पार्टी रही कांग्रेस आज सिमटती नज़र आ रही है। Rahul Gandhi Congress
राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद भी राहुल को नसीब हुई हार, योग्यता पर उठ रहे सवाल
कांग्रेस पार्टी और खासतौर पर राहुल गांधी के लिए कर्नाटक का यह चुनाव काफी अहम माना जा रहा था, क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद उनकी नेतृत्व में यह पहला चुनाव था। ऐसे में वह अपनी पहली ही परीक्षा में फेल साबित हुए है। निश्चित ही इससे पार्टी के उन कार्यकर्ताओं का मनोबल भी कमजोर होगा, जो अपने अध्यक्ष से किसी करिश्मे की उम्मीद लगाकर बैठे थे। कांग्रेस की हार ने पार्टी के अंदर उन विरोधियों को भी मौका दे दिया है जो राहुल गांधी की योग्यता को लेकर सवाल उठाते रहे थे।
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2014 में लोकसभा चुनाव के बाद अघोषित रूप से कांग्रेस की कमान राहुल गांधी ही संभाल रहे हैं। दिसंबर 2017 में उन्हें पार्टी का अध्यक्ष भी घोषित किया गया। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस को 16 राज्यों के विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है। इसके बाद से राहुल की काबिलियत पर सवाल खड़े हो रहे हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता बेहद कमजोर नज़र आ रही है। कर्नाटक के इन नतीजों का असर अब आगे आने वाले तीन राज्यों के चुनावों पर भी देखने को मिलेगा, जहां कांग्रेस के सामने नेतृत्व के भरोसे का एक बड़ा संकट मंडराता रहेगा। Rahul Gandhi Congress
राहुल गांधी और कांग्रेस को 2019 के आम चुनावों से पहले लगा बड़ा झटका
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों ने राहुल को एक साथ कई मोर्चो पर हार का मुंह दिखाया है। पहली हार तो उन्हें बीजेपी से मिली, जहां सीधी लड़ाई में उन्हें मुंह की खानी पड़ी है। दावपेंच के बावजूद यह तो तय है कि जनता ने कांग्रेस को नकार दिया। दूसरी हार उन्हें विपक्षी दलों के बीच नेतृत्व के मुद्दे पर भी खानी पड़ी है।
क्योंकि इस नतीजे के बाद यह तय हो गया है कि वह बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में सशक्त चेहरा नही हैं। इसकी शुरूआत भी कर्नाटक से हो गई है। जहां ज्यादा संख्या होने के बाद भी कांग्रेस को आगे बढ़कर जेडीएस जैसे क्षेत्रीय दलों को, जिनकी संख्या उनके मुकाबले काफी कम है, समर्थन का ऐलान करना पड़ा है।
राहुल गांधी और कांग्रेस को यह झटका तब लगा है, जब वह 2019 के आम चुनावों को लेकर लंबे समय से विपक्ष को एकजुट करने और उसका नेतृत्व करने की कोशिशों में जुटे हुए थे। ऐसे में इन नतीजों ने उनकी पूरी कोशिशों पर पानी फेर दिया है।
राहुल की मंदिर-मठ की राजनीति कर्नाटक में भी फेल, कांग्रेस की हार के भी जिम्मेदार
गुजरात और कर्नाटक विधानसभा चुनाव दोनों जगहों पर राहुल गांधी की मंदिर पॉलिटिक्स देखने को मिली। कर्नाटक चुनाव प्रचार में भी वो मंदिर, दरगाह और मठो में गए। एक सभा के दौरान मानसरोवर जाने का जिक्र भी किया। लेकिन उनकी मंदिर पॉलिटिक्स फेल साबित हुई। ऐसे में राहुल को सोचना पड़ेगा कि 2019 के लिए वो किस प्लॉनिंग पर काम करें, जिससे की बीजेपी के वोटबैंक में सेंध लगा सके।
कर्नाटक से पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी गुजरात विधानसभा चुनाव के समय भी मंदिर जाने की वजह से चर्चा में रहे थे। इस बार भी कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान वे मंदिर, मठ और अन्य धार्मिक स्थानों पर गए थे।
कुछ समय पहले राहुल गांधी ने कहा था कि वे बीते 15 साल से अपने सामने आने वाले सभी मंदिर, मस्जिद, गुरुवारे या दूसरे धार्मिक स्थलों पर जा रहे हैं, जो भाजपा को रास नहीं आ रहा।हालांकि, इन सब के बावजूद कर्नाटक में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी सरकार के किए कामों को गिनाते रहें।
सिद्धारमैया की विकासवादी छवि को जनता के बीच रखते रहे। वहीं मोदी ने लगातार आक्रामक होकर राहुल पर निशाना साधा। जिसका फायदा बीजेपी को मिला। वहीं, कांग्रेस की हार का ठीकरा एक बार फिर से राहुल से सिर फूटा। कांग्रेस की हार के जिम्मेदार राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता और कमजोर रणनीति को माना जा रहा है।