नगर निगम चुनाव : आसान नहीं कांग्रेस की राह, लोकसभा चुनाव में मिली थी करारी शिकस्त

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    जयपुर। कोरोना महामारी के बीच प्रदेश में हुए पंचायत चुनाव के चारों चरण सुरक्षित और सफलतापूर्वक पूरे हो चुके हैं। महामारी के दौर में हुआ प्रचंड मतदान पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। देश के अन्य राज्य राजस्थान में राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा किए गए कोरोना प्रबंधन की थाह लेने की कोशिश कर रहे हैं। इसी बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेश के सबसे ज्यादा संक्रमित जयपुर, जोधपुर और कोटा शहरों में नगर निगमों में सुरक्षित चुनाव का भी बीड़ा उठाया है। नगर निगम चुनाव में कांगेस की राह आसान नहीं होगी। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भले ही लाख दावे करें कि नगर निगम चुनाव में सरकार के कामकाज के आधार पर बंपर वोट पड़ेंगे लेकिन निगम चुनाव में कांग्रेस की राह आसान नहीं है, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकता है कि नगर निगम गठित होने के बाद से अब तक जयपुर में एक बार भी कांग्रेस का बोर्ड नहीं बन पाया है।

    लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को झेलनी पड़ी थी करारी शिकस्त
    हालांकि 2009 में जरूर महापौर के सीधे चुनाव में कांग्रेस को विजय मिली लेकिन बोर्ड तब भी भाजपा का ही बन पाया था। वहीं लोकसभा चुनाव के आंकड़े भी कांग्रेस के खिलाफ गए थे। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भले ही पार्टी ने जयपुर शहर की आठ विधानसभा क्षेत्रों में से 5 पर जीत दर्ज की हो लेकिन उसके 6 माह बाद हुए लोकसभा चुनाव में यहां कांग्रेस को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी। लोकसभा चुनाव में जिन सीटों पर कांग्रेस की हार हुई थी उनमें हवामहल, सिविल लाइंस, किशनपोल, विद्याधर नगर, मालवीय नगर, सांगानेर, बगरू और झोटवाड़ा है।

    एक मात्र आदर्श नगर में बची थी कांग्रेस की लाज
    लोकसभा चुनाव में जयपुर जिले की 9 विधानसभा सीटों में से 8 सीटों पर कांग्रेस को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी। महज आदर्श नगर विधानसभा क्षेत्र में ही कांग्रेस अपनी लाज बचा पाई थी। यहां मामूली अंतर से कांग्रेस को बढ़त मिली थी। लोकसभा चुनाव में जिन सीटों पर कांग्रेस को शर्मनाक हार झेलनी पड़ी थी उनमें विधानसभा में मुख्य सचेतक महेश जोशी के निर्वाचन क्षेत्र हवामहल और परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास का सिविल लाइन क्षेत्र भी शामिल है। ऐसे में सवाल उठता है कि विधानसभा चुनाव के 6 माह बाद हुए लोकसभा चुनाव में जब कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था तो आखिर निगम चुनाव में कांग्रेस पार्टी किस तरह से अपना परचम फहरा पाएगी?

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