वर्तमान राजस्थान सरकार ने हाल ही में 13 दिसंबर को अपने चार साल पूरे कर लिए हैं। वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली सरकार ने प्रदेश में इन चार साल में जमकर विकास कार्य किए हैं। राज्य ने चार साल में जल और सड़क निर्माण के क्षेत्र में अलग मुकाम हासिल किया है। केन्द्र सरकार की मदद से प्रदेश में हुए सड़क विकास ने नर्इ् ऊंचाइयों को छुआ है। राजस्थान देश का सबसे बड़े राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क वाला प्रदेश बन गया है। साथ ही राजे सरकार के मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान की राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हो रही है। हाल ही में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने केंद्र सरकार की मदद से प्रदेश में अच्छी गुणवत्ता वाली सड़कों के निर्माण की बात कही। आइये जानते हैं प्रदेश में सड़क विकास के क्षेत्र में और क्या नया होने जा रहा है..
राजस्थान के सड़क पुलों का जल्द ही डेटाबेस तैयार होगा
हाल ही में जयपुर शहर स्थित एक होटल में इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्रिज स्ट्रक्चर इंजीनियर तथा इंडियन रोड कांग्रेस और राजस्थान सरकार के सार्वजनिक निर्माण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ’रिपेयर रिहेबिलिटेशन एण्ड रेट्रो फिटिंग ऑफ ब्रिजिज एण्ड स्ट्रक्चर्स’ विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रदेश में विभिन्न राजमार्गों पर बने पुलों का सर्वेक्षण कर उनकी सेहत और स्थिति का एक डेटाबेस तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इसके लिए केन्द्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा तैयार बीआईएमएस (इंडियन ब्रिज मैनेजमेंट सिस्टम) का उपयोग करने को कहा है। सीएम ने आगे कहा कि इसके आधार पर राज्य की सड़कों पर पुलों की वर्तमान स्थिति का अध्ययन करके उनका जीवनकाल बढ़ाया जा सकेगा।
राजस्थान देश का सबसे बड़े राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क वाला प्रदेश
सीएम राजे ने सेमीनार में कहा कि केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा जहाजरानी मंत्री नितिन गड़करी के प्रयासों से राजस्थान देश का सबसे बड़े राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क वाला प्रदेश बन गया है। राजे ने कहा कि केन्द्र सरकार ने पिछले तीन सालों में राजस्थान की सड़कों को सुधारने के लिए भरपूर मदद की है। प्रदेश में भौगोलिक परिस्थितियों और अलग-अलग वातावरणीय परिस्थितियों के कारण सड़कों की गुणवत्ता हमेशा एक चुनौती रही है, लेकिन बीते चार वर्षों में हमने इस चुनौती को बखूबी पार पाते हुए अधिक लंबाई की और अच्छी गुणवत्ता वाली सड़कों का निर्माण किया है।
निर्माण की लागत कम करने और गुणवत्ता बढ़ाने की जरूरत: नितिन गड़करी
इस सेमीनार में केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा जहाजरानी मंत्री नितिन गड़करी भी उपस्थित थे। उन्होंने सेमीनार को संबोधित करते हुए अभियंताओं का आह्वान किया कि अगर नया भारत बनाना है तो पुराने, अप्रासंगिक हो चुके नियम-कायदों, पुरानी पद्धतियों, तौर तरीकोंं को छोड़कर ‘आउट ऑफ बॉक्स’ सोचना होगा। उन्हाेंने कहा कि आज निर्माण की लागत कम करने और गुणवत्ता बढाने की जरूरत है। केन्द्रीय मंत्री गड़करी ने रिवर कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट का उदाहरण देते हुए बताया कि अधिकारी हिमालय के पानी को कावेरी नदी तक लाने का प्रोजेक्ट तो बनाते हैं लेकिन सागर में व्यर्थ बह जाने वाले गोदावरी के लाखों मीट्रिक टन पानी को रोकने की सोच पर विचार नहीं करते, पाइपों के जरिए पानी को एक नदी से दूसरी में ले जाने पर विचार नहीं करते, जबकि यह संभव है।
देश में 6700 पुल सुधारे जाने की आवश्यकता
केन्द्रीय मंत्री गड़करी ने बताया कि पुलों के बारे में योजना बनाने में आंकड़ों की कमी बड़ी बाधा थी, जिसके लिए 2015 में आईबीएमएस प्रोजेक्ट प्रारम्भ किया। इस सिस्टम द्वारा गणना करने पर दुनिया में पुलों का सबसे बड़ा डेटाबेस तैयार हुआ और 1 लाख 70 हजार पुल रजिस्टर्ड हुए। इस डेटाबेस के अध्ययन से कई तथ्य सामने आए हैं। इन पुलों में से 23 पुल 100 साल पुराने और 1628 पुल 50 साल पुराने हैं। गड़करी ने आगे कहा कि 147 पुलों की हालत खराब थी, जिन्हें प्राथमिकता से लिया गया है। उन्होंने कहा कि देश में कुल 6700 पुल सुधारे जाने की आवश्यकता है। इस सेमीनार में राजस्थान सरकार के पीडब्ल्यूडी मंत्री युनूस खान ने देश एवं विदेशों के विभिन्न हिस्सों से सेमिनार में पधारे प्रतिभागियों का स्वागत किया एवं धन्यवाद ज्ञापित किया।