जयपुर। राजस्थान सरकार ने अखातीज के दौरान बाल विवाह रोकने के लिए एक मेगा प्लान तैयार किया है। राज्य सरकार ने आदेश दिया है कि दूल्हा और दुल्हन के नाम को शादी के कार्ड पर छापने के साथ-साथ उनकी जन्म तिथि भी शादी के कार्ड पर प्रिंट की जाएगी। इसके लिए जोड़े के जन्म प्रमाण पत्र की कॉपी प्रिंटिंग प्रेस को दी जानी चाहिए। अक्षय तृतीया 14 मई को है और इसके बाद इस साल 26 मई को पीपल पूर्णिमा मनाई जाएगी। देशभर में बाल विवाह का सामाजिक कलंक झेल रहे राजस्थान में बाल विवाह की रोकथाम के लिए गहलोत सरकार ने सरपंच से लेकर मास्टरजी की जवाबदेही तय कर दी हैं। बाल विवाह होने की सूचना अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने निकटतम थाने में देनी होगी।
दो साल बाद तक करवा सकते है विवाह निरस्त
बाल विवाह निषेध अधिनियम- 2006 के अंतर्गत विभिन्न धाराओं के तहत सजा का प्रावधान है। बाल विवाह निरस्त की धारा-3 के अंतर्गत जिस भी बच्चे का बाल विवाह हुआ है वो बालिग होने के दो वर्ष बाद तक अपना बाल विवाह निरस्त कराने का अधिकार रखता है। लड़की 20 साल तक और लड़का 23 वर्ष तक बाल विवाह निरस्त करवा सकता है।
2 वर्ष की सजा और जुर्माने का प्रावधान
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 के तहत 2 वर्ष तक के कठोर कारावास एवं जुर्माने का प्रावधान है। कोई किसी बाल-विवाह को संपन्न करेगा, संपन्न करायेगा, संचालित करेगा या फिर दुष्प्रेरित करेगा तो वह भी सजा का भागीदार होगा। जब तक कि वह यह साबित न कर दे कि उसके पास विश्वास करने का कारण था कि वह विवाह बाल-विवाह नहीं था। इसके तहत दो वर्ष के कठोर कारावास की सजा का प्रावधान है। इसमें एक लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।