जयपुर। राजस्थान विधानसभा की झुंझुनू जिले की खींवसर और नागौर की मंडावा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे गुरुवार को आ गए। परिणामों पर नजर डाले को यह पूरी तरह से भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में नहीं आए। इसका मुख्य कारण भाजपा के केंद्रीय आलाकमान द्वारा पूर्व मुख्यंत्री वसुंधरा राजे की नजरअंदाजी माना जा रहा है। इन पूरे चुनाव में पूर्व सीएम राजे ने कही भी प्रचार—प्रसार नहीं किया। बता दें कि बीजेपी कार्यकर्ताओं में और आम जनता में राजे की अच्छी खासी पकड़ हैं। यदि वह इन चुनाव में हिस्सा लेती और चुनाव प्रचार करती तो परिणाम कुछ और ही होते। कही ना कही ऐसा माना जा रहा है कि इन चुनाव से वसुंधरा राजे के शामिल नहीं होने के कारण बीजेपी को उतनी अच्छी जीत नहीं मिली जिसकी उम्मीद की जा रही थी।
राजे में है हारी बाजी को जीतने का दम
वसुंधरा राजे हारी हुई बाजी को भी जीतने का दम रखती है। राजस्थान में भैरोंसिंह शेखावत के बाद राजे ने प्रदेश की कमान बखूबी संभाली। जिससे उनकी छवि राजस्थान में नहीं बल्कि पूरे देश में एक काबिल नेता के रूप में उभरकर सामने आई। उनकी कार्यकुशलता को देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व ने साल 2003 के विधानसभा चुनावों में उनको बड़ी जिम्मेदारी सौंपी। वसुंधरा ने अपने दम पर 120 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई। साल 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में मामूली हार के बाद उनको सर्वसम्मति से प्रतिपक्ष नेता बनाया गया। इसके बाद साल 2013 का विधानसभा चुनाव भी वसुंधरा के नेतृत्व में लड़ा गया। इस चुनाव में भी बीजेपी ने 163 सीटों की बहुमत के साथ सरकार बनाई। इन दोनों चुनावों में जीत को देखकर आलाकमान ने वसुंधरा को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी।
मंडावा कांग्रेस के खाते में, खींवसर सीट पर आरएलपी का कब्जा
नागौर की खींवसर और झुंझुनूं की मंडावा विधानसभा सीट पर हुए उपुचनाव में एक सीट कांग्रेस के खाते में गई। यहां कांग्रेस प्रत्याशी रीटा चौधरी ने बीजेपी की सुशीला सींगड़ा को करीब तीस हजार से अधिक वोटों से शिकस्त दी है। दूसरी ओर खींवसर सीट पर कांग्रेस का मुकाबला बीजेपी-आरएलपी के गठबंधन से था। यहां कांग्रेस प्रत्याशी हरेन्द्र मिर्धा अपने प्रतिद्वंदी बीजेपी-आरएलपी गठंबधन के उम्मीदवार नारायण बेनीवाल ने 4570 वोटों से पीछे रह गए।