जयपुर। राजस्थान में मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं पर विराम लगाने के उद्देश्य से गहलोत सरकार ने विधानसभा में ‘मॉब लिंचिंग से संरक्षण विधेयक -2019’ पेश कर दिया है। बताया जा रहा है कि यह विधेयक अगले सप्ताह तक पारित हो जाएगा, जिसके बाद भीड़ द्वारा हत्या करने के मामलों पर सरकार काबू पा सकेगी। विधेयक के मुताबिक मॉब लिंचिंग में दोषी पाए जाने पर आरोपी को सात साल के कारावास तथा कम से कम एक लाख रुपये से दंडित किया जा सकेगा।
अगर भीड़ द्वारा की गई पिटाई में पीड़ित को ज्यादा नुकसान होता है तो आरोपी को 10 वर्ष की जेल तथा तीन लाख रुपये तक के आर्थिक दंड से दंडित किया जाएगा। इतना ही नहीं यदि पीड़ित की मौत हो जाती है तो अदालत दोषी को आजीवन कठोर कारावास व पांच लाख रुपये तक के जुर्माने से दंडित कर सकता है। इस कानून के लिए पुलिस महानिदेशक रैंक के अधिकारी को नोडल अधिकारी का जिम्मा सौंपा जाना प्रस्तावित है।
इसके अलावा गहलोत सरकार ने ऑनर किलिंग के मामलों पर रोक लगाने के लिए भी कमर कस ली है, मंगलवार को सरकार ने राजस्थान सम्मान और परंपरा के नाम पर वैवाहिक रिश्तों की आजादी में हस्तक्षेप का प्रतिशत विधेयक 2019 भी सदन के सामने रख दिया है। जिसके अनुसार यदि कोई प्रेमी युगल की इज्जत व संस्कार के नाम पर हत्या करता है या किसी भी तरह की हानि पहुंचाता है तो न्यायालय उसे आजीवन कारावास, मृत्युदंड तथा पांच लाख रुपये तक जुर्माने से दंडित कर सकता है।