”सर्वश्रेष्ठ बनें मुख्यमंत्री जलस्वावलंबन अभियान: मुख्यमंत्री राजे”

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MJSA CM Vasundhara Raje

राजस्थान के गांव-गांव को जल की दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाने हेतु शुरू किया गया  मुख्यमंत्री जल स्वालम्बन अभियान (एमजेएसए) आज देश में जल संरक्षण के लिए किये जा रहे सभी प्रयासों में अव्वल दर्जे पर स्थापित हो चुका है। इस अभियान के प्रथम चरण में अब तक 95 हज़ार निर्माण कार्य पूरे किये जा चुके है। व अभियान का दूसरा चरण तेजी से अपने चिन्हित लक्ष्यों तक पहुंचने में जुटा है।

अभियान को विश्वस्तरीय बनाने के लिए मुख्यमंत्री के निर्देश:

गुरूवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में मुख्यमंत्री जल स्वालम्बन अभियान के दूसरे चरण की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक में विभिन्न जिलों के प्रभारी सचिवों एवं इस अभियान से जुड़े विभागों के अधिकारियों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि एमजेएसए के पहले चरण में हुए जल संरक्षण संबंधी कार्यों का उदाहरण आज देश के कई क्षेत्रों और दुनिया के कई देशों में दिया जा रहा है। इसलिए जरूरी है, कि अभियान के दूसरे चरण में भी पूर्ण उत्साह के साथ कार्य किया जाये, व इसे देश का सबसे अच्छा फ्लैगशिप कार्यक्रम बनाने में कोई कमी नहीं रखी जाए। इस बैठक में एमजेएसए के दूसरे चरण में हुई अब तक की प्रगति एवं कार्यों को गति एवं विस्तार देने के उपायों पर भी चर्चा की गई।

मुख्यमंत्री ने प्रभारी सचिवों को अपने-अपने जिलों में जाकर एमजेएसए के कार्यों की प्रगति का निरीक्षण करने और अभियान की समीक्षा करने के निर्देश दिए। साथ ही मुख्यमंत्री ने इस अभियान के सभी कार्य मानसून शुरू होने से पहले पूरा करने के निर्देश भी दिए, ताकि योजना का सहीं तरह से क्रियान्वयन हो सके और अधिक से अधिक जल का संरक्षण किया जा सके।

अब तक हुए कार्य का विश्लेषण:

राज्य के ग्रामीण क्षेत्र में जल की कमी दूर कर वहां जल भण्डार की पर्याप्त व्यवस्था करने के लिए सरकार ने इस महत्वकांक्षी अभियान का दो चरणों में क्रियान्वयन करने की योजना बनाई थी।

अभियान के पहले चरण की समयावधि 27 जनवरी 2016 से 30 जून 2016 तक थी। पहले चरण में प्रदेश की 295 पंचायत समितियों के 3 हज़ार 529 गांवों का चयन किया गया था। प्रथम चरण के अन्तर्गत चयनित गांवों में पारंपरिक जल संरक्षण के तरीकों जैसे तालाब, कुंड, बावड़ियों, टांके आदि का मरम्मत कार्य एवं नई तकनीकों से एनिकट, टांके, मेड़बंदी आदि का निर्माण किया जा चुका है। परियोजना का प्रथम चरण सफलता के उच्च मापदंडों पर अपना क्रियान्वयन कर चुका है।

अभियान का दूसरा चरण 9 दिसम्बर 2016 से शुरू किया जा चुका है। दूसरे चरण में 4 हज़ार 200 नए गांवों  के साथ ही 66 शहरों (प्रत्येक ज़िले से 2) को भी शामिल किया गया है। जल संरक्षण के लिए पुरानी बावड़ियों, तालाबों और जल स्रोतों का मरम्मत कार्य किया जा रहा है। इस चरण में 2100 करोड़ रुपये की लागत से जल संरचनाओं में सुधार किये जा रहें है। आगामी तीन वर्षों में राज्य के 21 हज़ार गांवों को इस परियोजना का लाभ देकर जल क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना इस योजना का स्पष्ट लक्ष्य है।

मरूक्षेत्र के नाम से विख्यात राजस्थान में ग्रामीण क्षेत्रों को जल सुविधा में स्वपोषित और आत्मनिर्भर बनाने के लिए चलाई जा रही यह महत्वाकांक्षी परियोजना इस क्षेत्र के विकास के प्रति सरकार के सकारात्मक इरादों और सोच को अभिव्यक्त करती है।

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