तो क्या सचिन पायलट ने दिखाया पूर्वमुख्यमंत्री गहलोत को राजस्थान से बाहर का रास्ता?, खतरे में गहलोत का भविष्य

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Sachin Pilot and Ashok Gehlot

प्रदेश कांग्रेस की आपसी खिंचतान एक बार फिर सामने आई है। प्रदेश में अपने अस्तित्व के लिए लड़ रही कांग्रेस के दिग्गज नेता आमने सामने खुलकर आ रहे है । जहां दो दिन पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी भड़ास प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट पर निकाली थी और आज जब गहलोत को गुजरात में महासचिव पद की जिम्मेदारी मिली तो प्रदेश प्रभारी महासचिव राजस्थान और गुजरात प्रभारी गुरदास कामत ने इस्तीफा एसआईसीसी को भेज दिया। इससे साफ इंगित होता है कि राजस्थान में कांग्रेस किस बूरे दौर से गुजर रही है। कांग्रेस को आने वाले विधानसभा चुनाव में अपना ध्यान लगाना है लेकिन आपसी रंजिस और फूट के चलते कांग्रेसी अपने- अपने शहसवारों के साथ एक दूसरे के खिलाफ मैदान में है। buybtc.in    rajpalace.com

पायलट ने दिखाया गहलोत को बाहर का रास्ता

धौलपुर हार के बाद सचिन पायलट ने हार की जिम्मेदारी ली थी लेकिन कुछ दिनों तक चुप्पी साधे बैठे पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने जब पायलट के खिलाफ ज़हर उगलना शुरू किया तो उसका असर यह हुआ कि गहलोत को राजस्थान से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया । एआईसीसी ने गहलोत को राजस्थान से बाहर प्रधानमंत्री मोदी के घर में चुनाव की बड़ी जिम्मेदारी दी हैं। एआईसीसी के इस फैसले पर राजस्थान कांग्रेस प्रभारी महासचिव गुरूदास कामत ने नाराजगी ज़ाहिर की और इस्तीफा सौंप दिया।

कामत की डिनर डिप्लोमेसी भी हुई थी फेल

इससे पहले 2013 में राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद आपसी गुटबाजी हुई और हार का ठीकरा अशोक गहलोत के सिर पर मंढ़ा जाने लगा तब एआईसीसी ने गुरूदास कामत को राजस्थान में शांति दूत बनाकर भेजा था। गुरूदास कामत कांग्रेस के पालयट, गहलोत और जोशी धड़े में समझाइस करवाने और सभी कांग्रेसियों को एक मंच पर लाने के लिए डिनर डिप्लोमेसी का खेल खेला लेकिन कामत को इस खेल में भी औंधे मुंह की खानी पड़ी। डिनर डिप्लोमेसी के कारण ही कांग्रेस दिग्गज नेता एक दूसरे के सामने खुलकर आ गये। कांग्रेस का रात्रि भोज कामत पर ही भारी पड़ा और अशोक गहलोत कामत व पायलट के विरोध में आगये था।

गहलोत का राजनीतिक भविष्य संकट में

गहलोत को गुजरात का प्रभारी नियुक्त करने के बाद कामत ने ट्वीट के एआईसीसी के इस फैसले का स्वागत भले ही किया लेकिन कामत का इस्तीफा देना इसा बात का सबूत हैं कि कामत खुद की जगह गहलोत को नही देखना चाहते। दो दिन पहले जब गहलोत ने पायलट को धौलपुर हार की समीक्षा करने की नसीहत दी थी शायद गहलोत का यह ट्रांसफर इसी का सबूत है। एआईसीसी ने गहलोत को गुजरात का भार सौंप उनका राजनैतिक करियर खत्म करने की कोशिश की है। गुजरात विधानसभा चुनाव में अगर कांग्रेस को हार मिली तो गहलोत राजस्थान में किस छवि को लेकर आयेंगे । आखिर गहलोत को एक युवा नेता ने पायलट ने साइडलाइन कर अपने रास्ते से हटा दिया और ऐसा हटाया कि भविष्य में गहलोत कभी राजनीति करने लायक नही रहेंगे।

पायलट की राह से हटा सबसे बड़ा कांटा

राजस्थान में कांग्रेस तीन धड़ों में विभाजित है। पहला गुट पूर्वमुख्यमंत्री अशोक गहलोत का है दूसरे गुट के नेता सी.पी. जोशी है और तीसरा गुट पीसीसी चीफ सचिन पायलट का। इस समय राजस्थान में कमान पायलट के हाथ में है तो प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में पायलट को ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में प्रोजेक्ट किया जा रहा है। सी पी जोशी इस मामले में फिलहाल थोड़े पिछे है लेकिन सबसे बड़ा राह का रोड़ा पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ही थे। गहलोत को पायलट ने गुजरात में ड़ाल खुद का साफ रास्ता निकाल लिया है। अब पायलट को राजस्थान में मुख्यमंत्री बनने के लिए गहलोत जैसे मजबूत दावेदार से संघर्ष नही करना होगा।

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