विकास बनाम भ्रष्टाचार: कल होने वाले उप-चुनाव में किसका है पलड़ा भारी, किसे चुनेगी जनता?

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किसका पलड़ा भारी है उपचुनाव में?

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आने वाले उपचुनाव बने राजनीतिक दलों के लिए साख का सवाल, सियासती सरगर्मी के बीच इस नेता को सता रहा है एक बार फिर हार का डर… Rajasthan Byelections Bypolls

राजस्थान के इतिहास में अलवर और अजमेर का हमेशा से ही विशिष्ट स्थान रहा है। जहाँ एक तरफ पूर्व में ‘अजयमेरु’ के नाम से जाना जाने वाला अजमेर शहर राजस्थान राज्य का हृदयस्थल होने के साथ साथ यह जगतपिता ब्रम्हा की तीर्थस्थली और ख्वाजा चिश्ती साहब की दरगाह के कारण विश्विख्यात है, वहीं मेवात के अंचल में बसी अलवर की विराट नगरी से लगभग 30 मील पूर्व की ओर स्थित पर्वतमालाओं के मध्य में पाण्डवों ने अज्ञातवास के समय निवास किया था। Rajasthan Byelections Bypolls

चुनावी घमासान या अग्निपरीक्षा? Rajasthan Byelections Bypolls

राजस्थान की दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट के उपचुनाव की तस्वीर साफ हो गई है। नामांकन वापस लेने के आखिरी दिन कुछ प्रत्याशियों ने नामांकन वापस ले लिया, लेकिन मांडलगढ़ में कांग्रेस के बागी गोपाल मालवीय ने नाम वापस नहीं लिया, जिसकी वजह से यहां त्रिकोणी मुकबाले की स्थिति बन गई है। वहीं अलवर और अजमेर में कांग्रेस-भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होता नज़र आ रहा है। भारतीय चुनाव आयोग ने गुरुवार को अलवर और अजमेर के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के साथ-साथ राजस्थान के मांडलगढ़ विधानसभा सीट से उप-चुनाव की घोषणा की थी। इन सीटों के लिए मतदान कल, यानि 29 जनवरी, 2018 को होगा, और गिनती 1 फरवरी को होगी। Rajasthan Byelections Bypolls

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क्यों नहीं लग रहे सचिन पायलट आश्वस्त

सत्ता में होते हुए भी, केंद्र में मंत्री होते हुए भी, पायलट जैसे कद्दावर नेता जब चुनाव की रणभूमि में हारते हैं तो उस हार का दर जल्द नहीं जाता। यह तो अजमेर का बच्चा बच्चा जानता है की प्रोफ. सांवरलाल जाट के हाथ मिली मात का सदमा कांग्रेस के गलियारों में दिल्ली तक पहुंचा था। Rajasthan Byelections Bypolls

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धौलपुर में फिर से मिली शिकस्त के बाद किसी भी नेता का आत्म-विश्वास दागमना स्वाभाविक है। यूँ तो देश की सबसे पुरानी पार्टी के सामने कड़ी मुश्किलों में कोई कमी नहीं है, लेकिन हाशिये पर खड़ी प्रदेश कांग्रेस के आलाअधिकारियों को भी ऐसा लग रहा हैं जैसे उनका नेतृत्त्व खुद बुलंद नहीं है। अब मन मसोसकर ही कांग्रेस चुनाव मैदान में हैं। पूर्वमुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सचिन पायलट, सीपी जोशी जैसे नेताओं में मतभेद सार्वजनिक रूप से सामने आना कोई नयी बात नहीं है जिससे कांग्रेस प्रदेश में तीन अलग अलग धड़ों में विभाजित हो गई। Rajasthan Byelections Bypolls

भाजपा के लिए हार-जीत के सियासी मायने

अजमेर लोकसभा उपचुनाव जीतने के लिए सत्तारुढ़ दल भाजपा कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। भाजपा ने अंदरखाने इसके लिए सारी कवायद शुरु भी कर दी है। क्योंकि अगर भाजपा चुनाव हार जाती है तो उसकी मुश्किलें बढ़ जाएगी। हार से विधानसभा चुनाव से पहले जनता में यह मैसेज चला जाएगा कि भाजपा की हालत राजस्थान में पतली है। वहीं अगर उपचुनाव में भाजपा परचम लहराने में कामयाब हो जाती है तो उसकी सत्ता विरोध की आदि रही जनता इस बार नया इतिहास लिखने में दिलचस्पी दिखाएगी। Rajasthan Byelections Bypolls

फिर विधानसभा चुनाव में राजस्थान में भाजपा की लहर चलने का दावा करती हुई जोश से विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाएगी। साथ ही जीत से मुख्यमंत्री वसुंधऱा राजे का जलवा भी हो जाएगा। केन्द्रीय नेतृत्व के सामने फिर राजे का कोई विकल्प नहीं औऱ नेतृत्व परिवर्तन जैसी चर्चाओं पर विराम लग जाएंगे। Rajasthan Byelections Bypolls

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मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मानें तो इन तीनो क्षेत्रों ने बीते कुछ सालों में नयी बुलंदियां प्राप्त की हैं परंतु विकास कार्यों को गति देने के लिए कड़ी से कड़ी जोड़ना अत्यंत महत्वपूर्ण है। राजस्थान की जनता भी शायद विकास के राग में जुटे नए भारत के सूर्योदय को देखते हुए इस बार इतिहास नहीं दोहराते हुए, मरुधरा की उन्नति का नया अध्याय लिख सकती है। Rajasthan Byelections Bypolls

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