अलवर-अजमेर में 19 प्रतिशत नए मतदाता करेंगे उपचुनावों का फैसला

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Ajmer Alwar By polls By election
हालांकि नए वोटर्स का रोल विधानसभा चुनावों में खासतौर पर देखने को मिलेगा लेकिन उपचुनावों में भी नए युवा मतों की अनदेखी भारी पड़ सकती है।

अलवर और अजमेर की लोकसभा सीटों पर आने वाले कुछ सप्ताह में उपचुनाव होने हैं। हालांकि भाजपा व कांग्रेस दोनों ही पार्टियां इन उपचुनावों में अपनी—अपनी जीत सुनिश्चित मान बैठी हैं लेकिन असल में कहानी कुछ और ही कह रही है। अब भाजपा हो या कांग्रेस, दोनों पार्टियों को दोनों लोकसभा सीटों पर पहली बार वोटर लिस्ट में शामिल हो रहे 19 प्रतिशत नए युवा मतदाताओं का भी सामना करना पड़ेगा। यह संख्या क्षेत्र में मौजूद कुछ मतदाताओ की संख्या का 2.2 प्रतिशत हिस्सा है जिसे कमतर में नहीं लिया जा सकता। एक सर्वे के अनुसार, अलवर में 11 प्रतिशत और अजमेर में 8 प्रतिशत नए मतदाओं की उपस्थिति इन उपचुनावों में प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करने में काफी अहम रहने वाली है। पिछली बार अजमेर लोकसभा सीट से भाजपा के सांवरलाल जाट विजयी हुए थे जिन्होंने कांग्रेस सचिन पायलेट को हराया था। अलवर सीट से भाजपा के चांदनाथ कांग्रेस के जितेन्द्र सिंह को मात देते हुए लोकसभा में पहुंचे थे। दोनों सांसदों की मृत्यु के बाद इन दोनों सीटों पर उपचुनाव होने हैं।

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नए मतदाताओं के अलावा कुछ ऐसे नाम भी हैं जो मृत्यु या स्थान परिवर्तन होने जाने की वजह से हटाए गए हैं, ऐसे लोगों की लिस्ट काफी छोटी है। इसके दूसरी ओर, कुछ ऐसे युवाओं के नाम लिस्ट में जुड़े भी हैं जिनका पिछली बार किन्हीं कारणों से वोटिंग लिस्ट में नहीं जुड़ पाया था। जैसाकि ऊपर दिए गए आंकड़ों में दिखाया गया है, मई, 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में अलवर सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 16,17,551 थी जो अब 1,79,962 बढ़कर 17,97,513 तक पहुंच गई है। बात करें अजमेर लोकसभा क्षेत्र की तो यहां मई, 2014 में मतदाताओं की कुल संख्या 16,80,131 थी जो अब बढ़कर 18,17,230 हो गई है। यहां नए मतदाताओं की संख्या में 1,37,099 का इजाफा हुआ है। इन आंकड़ों को देखते हुए कोई भी पार्टी 3,17,061 वोटर्स को अनदेखा नहीं कर सकती। Ajmer Alwar by polls by election

विधानसभा चुनावों में भी दिखेगा असर

इन दोनों सीटों पर जो भी प्रत्याशी जीतेगा, उसका पूरा प्रभाव आगामी विधानसभा चुनावों में भी दिख सकता है। हालांकि नए वोटर्स का रोल विधानसभा चुनावों में खासतौर पर देखने को मिलेगा लेकिन उपचुनावों में भी नए युवा मतों की अनदेखी भारी पड़ सकती है। हालांकि माना यह जाता है कि उपचुनावों में मौहोल व राजनीति के मुद्दे अलग होते हैं और मुख्य चुनावों में बिलकुल अलग। इसके बावजूद दोनों लोकसभा सीटों से 19 प्रतिशत नए मतदाता किसी भी प्रत्याशी का भाग्य बनाने व बिगाड़ने में अहम भूमिका अदा करने के लिए काफी हैं। Ajmer Alwar by polls by election

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