जयपुर। प्रदेश में लगातार अपराधिक मामले बढ़ते ही जा रहे है। सरकार की तमाम प्रयासों के बावजूद अपराध कम होने का नाम नहीं ले रहे है। अलवर जिले में छेड़छाड़ से तंग होकर खुदकुशी का प्रयास करने वाली बेटी की जान तो एक पिता ने बचा ली, मगर इसके बाद कानून की शरण लेने की कीमत उसे अपनी जान देकर चुकानी पड़ गई। दुष्कर्म पीड़िता बेटी के कोर्ट में बयान कराने से चंद घंटे पहले पिता की हत्या कर दी गई। इस मामले में रामगढ़ पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में है। जो नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को संरक्षण के बजाय आरोपियों के पक्ष में राजीनामे का दबाव बनाने में लगी रही। इससे आरोपियों का हौंसला बढ़ता गया। बात ना मानने का नतीजा ये हुआ कि नाबालिग के पिता का शव बुधवार सुबह घर के समीप खेत में पेड़ पर रस्सी से लटका मिला।
पुलिस ने 2 दिन तक नहीं किया केस दर्ज
मृतक के बेटे ने बहन से दुष्कर्म के आरोपी के 4 परिवारजनों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराया है। एफआईआर में पुलिस पर मृतक की बेटी से हुई छेड़छाड़ का मामला देरी से दर्ज करने का आरोप है। दुष्कर्म पीड़िता के पिता की हत्या का मामला सामने आने के बाद कस्बे में आक्रोश व्याप्त हो गया। बड़ी संख्या में जन संगठनों के लोग थाने पर जमा हो गए। सूचना के बाद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मुख्यालय शिवलाल बैरवा, पुलिस उपाधीक्षक दक्षिण दीपक कुमार मौके पर पहुंचे। भीड़ को कई थानों की पुलिस बुला हटाया गया। गौरतलब है कि मृतक की नाबालिग बेटी को अनीस खां पुत्र सुमरदीन करीब डेढ़ साल से परेशान कर रहा था। इसके चलते किशोरी ने 18 जून को आत्महत्या का प्रयास किया। घरवालों को कारण पता चला तो अनीस पर मामला दर्ज कराने थाने पहुंचे। मगर पुलिस ने 2 दिन तक केस ही दर्ज नहीं किया था।