प्रदेश में अब ब्लैक फंगल पसार रहा है पांव, इंजेक्शन की होने लगी कालाबाजारी

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    जयपुर। कोरोना वायरस के बाद अब प्रदेश में ब्लैक फंगस भी पांव पसार रहा है। ब्लैक फंगल के प्रदेश में 800 से ज्यादा मामले सामने आ चुके है। इसके लिए जरूरी जीवररक्षक लाइपोसोमल एम्पोटेरिसिन- बी इंजेक्शन बाजार में नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार ने ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए 50,000 इंजेक्शन मांगे थे, लेकिन अब तक 700 ही मिले हैं। अब सरकार ग्लोबल टैंडर के जरिए 2500 वायल खरीदेगी।

    ब्लैक फंगल के लिए एसएमएस में बनाई स्पेशल यूनिट
    ब्लैक फंगस के खतरे को देखते हुए राज्य के सबसे बड़े अस्पताल सवाई मानसिंह में स्पेशल यूनिट खोली गई है, लेकिन वह दो दिन में ही फुल हो गई। एसएमएस प्रशासन के मुताबिक, ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए 11 विभागों के 22 डाक्टरों को चिकित्सा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके अलावा अस्पतालों को कोरोना संक्रमितों को सीमित मात्रा में स्टेरॉयड देने के निर्देश दिए जा रहे हैं। कोरोना में जैसे रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही थी, वैसे ही अब ब्लैक फंगस के इंजेक्शन की हो रही है। 400- 500 रूपए में मिलने वाली दवाओं की कीमत अब बढ़ाकर 800- 900 रूपए कर दी गई है।

    उदयपुर जिले के 3 गांवों में नहीं पहुंचा कोरोना
    कोरोना की दूसरी लहर अब गांवों में भी पैर पसार रही है। लेकिन आपको यह जानकर होगी कि उदयपुर जिले में ऐसे तीन गांव है जहां पर अब तक कोनोरा नहीं पहुंच सका है। भींडर पंचायत समिति के ग्राम पंचायत नागलीया में अब तक एक भी कोरोना मरीज रिकॉर्ड नहीं किया गया। ग्राम पंचायत नागलीया में तीन राजस्व गांव आते हैं। इनमें नागलीया, खेडा फला और राणी डूगला को मिलाकर कुल जनसंख्या लगभग 2800 हैं। नागलीया के सरपंच मनमोहन मीणा खुद पॉलिटिकल साइंस से एमए पास हैं। गांवों में वैक्सीन को लेकर अफवाहों को रोकने के लिए वे खुद घर-घर जाकर लोगों को समझा रहे हैं। गांव के बुजुर्ग लोगों को भी साथ लिया। घर-घर जाकर मास्क बांटे और लोगों को मास्क लगाने के लिए प्रेरित किया।

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